इस एसडीएम के जज्बे को आप भी करेंगे सलाम, जब जानेंगे इनके किस्से

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पुलिस प्रशासन का नाम सुनते ही हमारे सामने एक ऐसी तस्वीर उभर कर आती है जिसमें एक पुलिस वाला सिर्फ जनता  के लिए मुश्किल और डर के सिवा कुछ भी नहीं है। हमारे देश में पुलिस प्रशासन को एक ऐसा तमगा देस की जनता  ने दे रखा है जिससे पुलिस का मतलब भय और परेशानी देने के अलावा वो कभी जनता के  लिए कुछ नहीं करती है। लेकिन हमें इस मानसिकता में बदलाव लाना होगा क्योंकि अब वो दिन नहीं रहे जब वर्दी का रौब दिखाकर पुलिस वाले आम नागरिकों को अपना शिकार बनाते थे। आज पुलिस वाले भी जनता  की नजरों में अपना सम्मान वापस देखना चाहते हैं।

शायद यही वजह है कि पुलिस प्रशासन में अब पारदर्शिता आने लगी है। लेकिन पूरी तरह से ये मान लेना गलत होगा कि सभी पुलिस वाले एक जैसा व्यवहार करते  हैं। कुछ तो पुलिस की वर्दी में गुंडे घूमते हैं तो कुछ सज्जन और ईमानदारी की मिसाल पेश कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है बलिया जिले के एसडीएम अरविंद कुमार की ।

जिन्होंने नौकरी इसलिए नहीं की कि सिर्फ पैसा और शोहरत पाना चाहते थे। बल्कि इसलिए क्योंकि वो गरीबों और बेसहारा लोगों की आवाज बन सकें। बता दें कि साल 2016 में यूपी के बलिया जिले में घाघरा नदी के उफान पर होने से बेरिया तहसील पूरी तरह से बाढ़ के संकट से जुझने लगी थी। बहुत सारे उपाय किए गए बांध बनाइ गए लेकिन बनाए गए बांध में दरार पड़ गई और पानी के भीषण बहाव से आसपास के  गांव जलमग्न होने लगे।

तभी अचानक बलिया के एसडीएम अरविंद कुमार मौके पर पहुंच कर जब इस तबाही के मंजर को देखा तो वो चुपचाप खड़े नहीं रह सके। और खुद ही सिर पर गिट्टियों से भरी बोरी सिर पर रखकर बांध के किनारे  पर रखने लगे, जिसे देखकर और भी वहां मौजूद लोगों ने भी अपने सिर पर बोरी ढो़ने लगे।

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देखते ही देखते पूरा हुजूम उमड़ पड़ा और देखते ही देखते पानी के  बहाव को लोगों ने रोकने में सफलता पा ली। जिस तरह से अरविंद कुमार ने अपने काम से लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं।

अगर ऐसे ही पुलिस वाले हमारे देश में हो तों जनता को पुलिस  के सामने डरने के बजाय उन्हें अपना हमदर्द समझेंगे। जिस तरह से अरविंद कुमार ने एक नई सोच और नई मिसाल पेश की है उससे सभी पुलिस वालों को भी सबक लेना चाहिए।

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