विभाग में फैले भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए राजेश साहनी !

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यूपी एटीएस के एएसपी राजेश साहनी (ASP Rajesh Sahni) ईमानदारी की मिसाल थे। वो एक जांबाज ऑफिसर के अलावा एक गंभीर पत्रकार भी थे। अपनी ही सर्विस रिल्वॉलर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने से राजेश साहनी के परिचित सकते में आ गए हैं। फिल्म डायरेक्टर और पूर्व वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने राजेश साहनी की आत्महत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए कई सवाल उठाए हैं।

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विनोद कापड़ी ने श्रद्धाजंलि देते हुए लिखा कि.. क्यों राजेश क्यों?

आज दोपहर में जब राजेश के बारे में पंकज झा का मैसेज आया तो ऐसा लगा कि पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है। तुरंत, पंकज को फोन किया। उसने बताया कि अभी कुछ देर पहले ही राजेश ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली मार ली। कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं?
राजेश 23 साल से मेरा मित्र था। पहली बार मैं उससे मिला अगस्त, 1995 में। जब मैंने जी न्यूज में बतौर रिपोर्टर जॉइन किया और देखा कि न्यूजरूम के कोने में एक लड़का बहुत खामोशी से अपना काम करता है और चुपचाप घर चला जाता है। ये मेरी राजेश से पहली मुलाकात थी।

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विनोद कापड़ी ने लिखा कि राजेश साहनी असाइनमेंट में काम करता था और मैं रिपोर्टर था, इसलिए कुछ समय बाद राजेश के साथ खूब बात होने लगी। बहुत धीरे बोलता था। बहुत कम बोलता था और बहुत प्यार से बोलता था।

असाइनमेंट के लोगों की आदत होती है कि वो जब तक शोर न करें किसी को पता नहीं चलता कि वो काम कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं लेकिन राजेश इन सब बुराइयों से दूर था। वो शांति से काम करने में यकीन रखता था और मेरे साथ उसका रिश्ता कुछ ऐसा बना कि कई बार जब मेरे पास कोई स्टोरी आईडिया नहीं होती थी तो राजेश चुपके से कोई न कोई आइडिया मुझे पकड़ा देता था। यहीं से मेरी और उसकी दोस्ती की शुरुआत हुई और फिर कुछ साल बाद जब मैंने जी न्यूज छोड़ दिया तो मुझे पता चला कि राजेश ने भी TV का काम छोड़ करके UP पुलिस जॉइन कर ली है और वो अब CO हो गया है।

यूपी पुलिस ज्वाइन करने वाली बात से हैरान थे विनोद

उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ‘मुझे बहुत हैरानी हुई.. हैरानी इसलिए हुई क्‍यों‍कि एक इंसान जो बहुत ही धीमे बोलता है। बहुत ही प्यार से बोलता है ..हमेशा किताबों में खोया रहता है.. हमेशा हमेशा दुनिया जहान की बातें करता रहता है, वो इंसान पुलिस में क्यों भर्ती हो गया? कुछ दिन बाद मैंने राजेश को फोन किया और एक के बाद एक करके सारे सवाल पूछ डाले। वो बहुत देर तक हंसता रहा और फिर बोला कि यार घर वालों की बड़ी इच्छा थी कि वो मुझे वर्दी में देखें। लेकिन मेरी जिज्ञासा अब भी खत्म नहीं हुई थी। मैंने उससे पूछा कि जितना मैं तुझे जानता हूं, मैंने तुझे आज तक एक बार भी ऊंची आवाज में बात करते नहीं सुना.. मैंने तेरे मुंह से आज तक एक भी गाली नहीं सुनी तो तू पुलिस ने कैसे काम करेगा और वो भी UP पुलिस में? तो उसका जवाब था कि यार कुछ लोग तो पुलिस में ऐसे भी होने चाहिए न जो गाली न देते हों..

उन्होंने लिखा कि इसके बाद राजेश से गाहे बेगाहे बात होती रही और मैं उससे हमेशा पूछता रहा कि तूने अब गाली देने सीखी या नहीं? तो हंसकर बताता था कि जब जरूरत पड़ती है तो थोड़ी बहुत दे लेता हूं। मुझे लगा कि राजेश कि ये पेशागत मजबूरी होगी कि उसके मुंह से कुछ अपशब्द निकल जाते होंगे लेकिन भीतर से अपशब्दों वाला राजेश कभी था ही नहीं..

फिल्म पीहू देखना चाहते थे राजेश

विनोद कापड़ी ने लिखा, ‘अभी मुश्किल से दो महीने पहले राजेश से फोन पर कई बार लगातार बात हुई। पीहू से जुड़ा कुछ मसला था और मित्र होने के नाते मैं लगातार राजेश से ही बात कर रहा था और उसमें उसने मेरी काफी मदद भी की। हिम्मत भी बढ़ाई और हमेशा कहता था कि जिस तरह से तूने एक अलग रास्ता चुना है उससे मैं बहुत प्रेरित होता हूं और जब अभी 22 मई को पीहू की रिलीज की तारीख़ की घोषणा हुई तो मुझे याद है कि उस दिन राजेश ने एक ट्वीट भी किया था जिसमें उसने लिखा था कि उसे पीहू का बेसब्री से इंतजार है और वो मेरा नाम बड़ी स्क्रीन पर देखना चाहता है.. फिल्म भी देखना चाहता है। मुझे अब तक यकीन नहीं हो रहा था कि जो इनसान जिंदगी को बहुत ही जिंदादिल होकर जी रहा था, उसने आखिर आत्महत्या क्यों कर ली?’

आला अधिकारियों के दबाव में होने की मिली जानकारी

विनोद कापड़ी ने लिखा कि राजेश से जितनी बार भी मेरी बात हुई उससे एक बात मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वो अपनी पारिवारिक जिंदगी में बहुत खुश था। हमेशा परिवार की बात करता था और ये बताता था कि उसका जीवन बिलकुल ठीक चल रहा है, इसलिए मुझे और हैरानी हुई जब आज खबर मिली। कई दोस्तों को फोन लगाया। समझने की कोशिश की कि आखिर क्या हुआ होगा। फिलहाल किसी को भी अंदाजा नहीं है कि राजेश ने आत्महत्या क्यों की?

उन्होंने लिखा, ‘लेकिन कुछ बातें जो पता चल रही हैं, उसके मुताबिक ATS में रहते हुए पिछले कुछ समय से राजेश अपने उच्च अधिकारियों के दबाव में था। कुछ लोग ये भी बता रहे हैं कि वह विभाग में भ्रष्टाचार के किसी मामले की जांच कर रहा था और परेशान था.. कुछ लोग ये भी बता रहे हैं कि उन्हें छुट्टी भी नहीं मिल रही थी.. मैं नहीं जानता हूं कि ये बातें सच है या नहीं लेकिन मैं इतना जानता हूं कि इस देश ने और उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक पुलिस अफसर नहीं खोया है बल्कि एक बहुत ही शानदार इंसान भी खोया है।’

विनोद कापड़ी ने सीबीआई जांच कराने की मांग की

मैंने उसे हमेशा कहा कि राजेश तू पुलिस के लिए एकदम अनफिट है.. मुझे समझ नहीं आता कि तेरे जैसे लोग पुलिस में खुद को ढाल कैसे पाते होंगे। वो हमेशा हंसता रहता था और यही जवाब देता था कि कभी-कभी पुलिस में मेरे जैसे अनफिट लोगों को भी होना चाहिए.. ऐसे हंसमुख, अनफिट, मिलनसार, जिंदादिल पुलिस अफसर और मित्र की मौत मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं है। आज मुझे लग रहा है कि मेरा एक हिस्सा मुझसे अलग हो गया है.. राजेश की मृत्यु को लेकर जो बातें सामने आ रही है उसकी सच्चाई की पुष्टि नहीं कर सकता हूं लेकिन मैं सरकार से इतनी मांग जरूर करुंगा कि राजेश की आत्महत्या की CBI से जांच होनी चाहिए इससे कम कुछ नहीं.. एक बेहद ईमानदार खुशमिजाज अफसर कम से कम इसका तो हक़दार है। और राजेश…तुझ से मुझे हमेशा शिकायत रहेगी…हालात चाहे जैसे भी थे…हार नहीं माननी चाहिए थी यार।

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