ममता के खिलाफ FIR के बाद तृणमूल का असम पुलिस पर पलटवार

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तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पर असम पुलिस पर पलटवार किया है। तृणमूल कांग्रेस के मुताबिक, ऐसी कार्रवाई उन्हें बंगालियों के हित की लड़ाई लड़ने से नहीं रोक पाएगी। गौरतलब है कि असम पुलिस ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से संबंधित टिप्पणी को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

लड़ाई लड़ने से रोक सकती हैं तो वे ख्याली दुनिया में हैं

उनके खिलाफ ऐसी कई शिकायतें मिली थीं कि उन्होंने पूर्वोत्तर के इस राज्य में एनआरसी लागू किये जाने को लेकर ‘भड़काऊ’ बयान दिए। तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि यदि भाजपा और असम सरकार सोचती है कि वे तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को मुसलमानों के हितों की लड़ाई लड़ने से रोक सकती हैं तो वे ख्याली दुनिया में हैं।

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पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्यमंत्री ने कहा, ऐसे पुलिस मामले और एफआईआर ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को बंगालियों के हितों की लड़ाई लड़ने से रोक नहीं पायेंगी। हम असम से बंगालियों को खदेड़ने की ऐसी तरकीबें देख चुके हैं। यदि बंगाली खतरे में होंगे तो ममता बनर्जी और तृणमूल चुप नहीं बैठेंगी। इस बीच, गुवाहाटी से प्राप्त खबर के अनुसार असम कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य के 13 जिलो में कुछ खास हिस्सों में 90 फीसदी धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के पहले मसौदे के बाहर छोड़ दिया गया। उसने इसकी जांच की मांग की।

कई जिलों में सही ढंग से नहीं हुआ सत्यापन

असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने आरोप लगाया कि 13 जिलों में 208 एनआरसी सेवा केंद्रों पर सत्यापन सही ढंग से नहीं किया गया, जिससे उन क्षेत्रों के बस 10 फीसदी लोगों के नाम एनआरसी में आए हैं। ये जिले दर्रांग, मोरीगांव, नागांव, ग्वालपारा, ढुबरी, कछार, कैमज्ञाज, हैलाकांडी, कोकराझार, बारपेटा, मनकच्छार, नालारी और बोगांईगांव हैं। बतादें कि ममता ने पश्चिम बंगाल के अहमदपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के पहले मसौदे में बंगालियों के नाम हटाकर उन्हें असम से बाहर करने की ‘साजिश’ रचने का आरोप लगाया। पहले मसौदे का प्रकाशन 31 दिसंबर, 2017 को किया गया।

(news18)

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