1965 भारत-पाक युद्ध के ‘महानायक’ को सलाम

0

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने भारतीय वायु सेना के एयर मार्शल अर्जन सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि एयर मार्शल अर्जन सिंह महान योद्धा के तौर पर याद किए जाएंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, “भारत के गौरवशाली इतिहास में अर्जन सिंह हमेशा एक महान योद्धा के तौर पर याद किए जाएंगे और हर पीढ़ी को उनसे प्रेरणा मिलती रहेगी। ऐसे दुख के वक्त में पूरा देश शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ा है।”उन्होंने कहा कि भाजपा परिवार के समस्त पदाधिकारीगण व कार्यकर्ता भी भारत माता के वीर सपूत अर्जन सिंह के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

पंजाब के लयालपुर में हुआ था अर्जन सिंह का जन्म

आपको बता दें कि पंजाब के लयालपुर ( पाकिस्तान का फैसलाबाद) में 15 अप्रैल 1919 में जन्मे अर्जन सिंह औलख फील्ड मार्शल के बराबार फाइव स्टार रैंक हासिल करने वाले इंडियन एयर फोर्स के इकलौते ऑफिसर थे। उनका परिवार सैन्य सेवा में था। उनके पिता सेना की हॉडसन हॉर्स कैवेलरी रेजीमेंट में लांस दफादार थे और रिसालदार के पद से रिटायर हुए थे।

कुछ समय के लिए वह डिवीजन कमांडर के एडीसी भी रहे। उनके दादा रिसालदार मेजर हुकम सिंह गाइड्स कैवलरी में 1883 से 1917 तक रहे। उनकी पढ़ाई अविभाजित भारत के मॉन्टगोमेरी में हुई। यह अब पाकिस्तान का साहीवाल शहर कहलाता है।

19 साल की उम्र में पायलट ट्रेनिंग के लिए हुआ सेलेक्शन

1970 में भारतीय वायुसेना से रिटायर हुए अर्जन सिंह को सम्मान में भारत सरकार ने जनवरी 2002 में उन्हें वायुसेना का मार्शल रैंक दिया था। मार्शल रैंक फ़ील्ड मार्शल के बराबर होता है जो केवल थल सेना के अफ़सरों को दिया जाता रहा था। के.एम. करियप्पा और सैम मानेकशॉ दो ऐसे थल सेना के जनरल थे जिन्हें फ़ील्ड मार्शल बनाया गया था। अर्जन सिंह वायु सेना और ग़ैर थल सेना के ऐसे पहले अफ़सर थे जिन्हें मार्शल का रैंक दिया गया था।

Also Read : किसानों के हित के लिए सीएम योगी ने किया बड़ा एलान

हवाई जहाजों से उनका लगाव बचपन से था। कई सार्वजनिक स्थलों पर अर्जन सिंह ने इस बात का जिक्र भी किया कि जब भी कभी लायलपुर के आसमान पर जब भी कोई विमान उड़ान भरता था तो उसे देखकर उनके मन में हवाई जहाज पाने की इच्छा जाग उठती थी।

19 साल की उम्र में रॉयल एयरफ़ोर्स कॉलेज क्रानवेल में एंपायल पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए उन्हें चुना गया था। खास बात यह रही कि 20 साल की उम्र में ही अर्जन सिंह पायलट बन गए थे। 1944 में स्क्वॉड्रन लीडर के रूप में उन्हें पदोन्नति दी गई और उन्होंने बर्मा में अराकन अभियान के दौरान जापानी सेना के ख़िलाफ़ अपने हवाई दस्ते का नेतृत्व किया। इसके लिए उन्हें ब्रिटिश सेना का प्रतिष्ठित फ्लाइंग क्रॉस पुरस्कार से नवाज़ा गया।

आसमान से दी थी आजाद भारत को सलामी

मार्शल अर्जन सिंह भारतीय सैन्य इतिहास के ऐसे सितारे थे जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में सिर्फ 44 वर्ष की आयु में अनुभवहीन भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था। यही नहीं, देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त, 1947 को लालकिले के ऊपर सौ से ज्यादा वायुसेना विमानों के फ्लाइपास्ट का नेतृत्व करने का गौरव भी उन्हें हासिल है। उन्हें एक अगस्त, 1964 को चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) नियुक्त किया गया था।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More