हाथ धुलें और 20 प्रतिशत इंफेक्शन घटाएं

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लखनऊ अस्पताल का संक्रमण मरीज के इलाज का खर्च बढ़ा रहा है। यही नहीं लंबे समय तक बेड पर रहने के कारण दूसरे मरीज को भर्ती होने का मौका नहीं मिलता। इस तरह अस्पताल में होने वाले संक्रमण के कारण मरीज तो खुद परेशान हो ही रहा है। साथ में दूसरे मरीज की भी परेशान बढ़ा रहा है।

70 फीसद लोग इसे फॉलो नहीं करते

ये बातें एसजीपीजीआइ के हॉस्पिटल इंफेक्शन कमेटी के नोडल ऑफीसर डॉ.राजेश हर्ष वर्धन ने कहीं। उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल इंफेक्शन की गाइड लाइन को फॉलोकर अस्पताल में होने वाले संक्रमण को घटा कर 33 फीसद तक लाया जा सकता है। डॉ.हर्ष वर्धन ने कहा कि केवल हाथ धुलकर मरीज को छूने से हॉस्पिटल जनित इंफेक्शन को 20 फीसद तक कम किया जा सकता है, लेकिन काम के दबाव और सुविधा की कमी के कारण 70 फीसद लोग इसे फॉलो नहीं करते।

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मरीज के भर्ती होने के बाद इंफेक्शन होने के कारण मरीज तीन से 14 दिन अधिक भर्ती रहना पड़ता है। सबसे अधिक हॉस्पिटल जनित इंफेक्शन का खतरा सर्जरी व आइसीयू वाले मरीजों में होता है। इस पर रोक लगाने के लिए संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के साथ मिल कर कार्यशाला का आयोजन किया है।

मरीज को कई बार वेंटीलेटर पर रखना पड़ता है

प्रो. राजेश ने कहा कि आइसीयू में हॉस्पिटल जनित संक्रमण का मानक आठ फीसद है लेकिन विकासशील देशों में यह चालीस फीसद तक है। देखा गया है कि यूटीआइ, यूरिनरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन 15 से 40 फीसद, सर्जरी वाली जगह पर 15 से 25 फीसद, सेप्टीसीमिया सात से 10 फीसद और वेंटीलेटर के कारण निमोनिया दो से पांच फीसद मरीजों में होता है। इसके कारण मरीजों को अस्पताल में अधिक समय तक भर्ती रहना पड़ता है। इसके चलते कई बार मरीज को कई बार वेंटीलेटर पर रखना पड़ता है।

(साभार- दैनिक जागरण)

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