बनारस में अब गंगा पार टेंट सिटी का लुत्फ नहीं उठा सकेंगे पर्यटक
बनारस में घूमने आने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखकर टेंट सिटी का निर्माण जनवरी ,2023 में किया गया. गंगा किनारे रहकर सैलानियों को एक नये तरीके का अनुभव मिला. लेकिन इस बार गंगा पार रेती पर टेंट सिटी नहीं सजेगी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सख्त रुख को देखते हुए टेंट सिटी बसाने वाली कंपनियों ने अपने कदम खींच लिए हैं. उधर, प्रशासन ने भी अब टेंट सिटी के लिए अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. ऐसे में ठंड के मौसम में अलग अहसास का सपना संजोकर काशी आने वाले सैलानियों को इस अनुभव से वंचित रहने का मलाल रहेगा.
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कई मानकों के उल्लंघन का आरोप
इस वर्ष जनवरी में गंगा पार रेती पर बसाई गई टेंट सिटी के निर्माण कार्य के दौरान कुछ मानकों के उल्लंघन का आरोप है. इस मामले में एनजीटी ने शासन और प्रशासन को भी निशाने पर लिया है. ऐसे में इस वर्ष टेंट सिटी का निर्माण नहीं किया जा सकेगा. इस वर्ष आयोजित हुई योजना को 14 जनवरी से 31 मई तक के लिये संचालित कराया गया. करीब 60 हजार से ज्यादा सैलानियों ने टेंट सिटी के अनुभव का लुत्फ उठाया था. लोगों को इसके प्रति उत्साह को देखते हुए कंपनियों ने नंवबर से मई तक टेंट सिटी को बसाने का निर्णय लिया था.
बनारस टेंट सिटी: अभी शुरुआत के आसार नहीं…
उधर मामला एनजीटी में जाने के बाद इस योजना पर रोक लग गयी. कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि टेंट सिटी के निर्माण कार्य में करीब दो महीने का वक्त
लग जाता है. फिलहाल, न्यायालय में मामला होने के चलते अभी इसकी शुरुआत के आसार नहीं दिख रहे हैं. इसमें रहने के लिए हो रही एडवांस बुकिंग को भी बंद कर दिया गया है. बनारस के जिलाधिकारी एस राजलिंगम का कहना है कि एनजीटी के निर्णय का अनुपालन सख्ती से कराएंगे.
वीडीए ने खर्च किए थे 15 करोड़ रुपये
टेंट सिटी बसाने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण ने मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त रखने के लिए करीब 15 करोड़ रुपये खर्च किए थे. यहां बिजली, पानी, सड़क, कूड़ा घर सहित अन्य सुविधाएं अलग अलग विभागों ने विकसित की थी. मई में टेंट सिटी हटाए जाने के बाद भी सीवर, पेयजल की लाइनें रेत के अंदर ही छोड़ दी गई हैं.