वाराणसी में कल भगवान श्रीकृष्ण नथेंगे कालिया नाग का फन
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को वाराणसी के तुलसी घाट पर होने वाली प्रसिद्ध नाग नथैया की लीला इस बार 17 नवम्बर शुक्रवार को होगी. भगवान श्रीकृष्ण की नागनथैया लीला ठीक शाम 4ः40 बजे प्रभु कदंब की डाल से कूदेंगे और कालिया नाग को नाथकर उसके फन पर नृत्य मुद्रा में बांसुरी बजाते हुए श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे.
संत तुलसीदास ने शुरू की थी श्रीकृष्ण लीला
अखाड़ा गोस्वामी तुलसीसदास की ओर से आयोजित लीला को देखने के लिए हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है. नागनथैया लीला काशी के लक्खा मेले में शुमार है. संत तुलसीदास द्वारा शुरू की गई 22 दिनों की श्रीकृष्ण लीला की परंपरा आज भी कायम है. इसमें भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव से लेकर पूतना वध, कंस वध, गोवर्धन पर्वत सहित कई लीलाएं होती है. संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने बताया कि यह परम्परा गोस्वामी तुलसीदास के जमाने से चली आ रही है. लीला के लिए पेड़ काटने के बाद भक्त अपने कंधे पर लादकर तुलसी घाट लाते हैं. जहां से वृक्ष काटा जाता है, उसी दिन वहां एक और कदम्ब का नया पौधा लगा दिया जाता है. इसके साथ ही लगभग एक हजार पौधे भी लगाए जाते हैं.
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लगभग 20 फुट लम्बा होता है कालिया नाग
इसके बाद सुबह ही गंगा जी में दो बांस गाड़कर दो कमलपुष्प के प्रतीक रूप में उसी बांस के सहारे पेड़ लगा दिया जाता है. दूसरी ओर लगभग 20 फुट लंबा नाग कपड़े की खोली में पुआल भरकर बनाया जाता है और मुंह पर सात फन वाले नाग का ढांचा बैठा दिया जाता है. पेड़ गंगा के किनारे लगाने के बाद नाग को पानी में डुबो दिया जाता है. नाग की रस्सी घाट पर गड़े खूंटे से बंधी रहती है. उसे कमल वाले बांस के सहारे बांध दिया जाता है. नागनथैया के दिन कृष्ण के पात्र का चयन भी लीला के दिन सुबह ही किया जाता है.