आज का युवा आयात-निर्यात के जरिये ‘गोल्डन डेज’ वापस ला रहा
ऋषभ शुक्ल
व्यवसाय न होता तो देश का आर्थिक अस्तित्व नहीं होता. भारतीय अर्थव्यवस्था को आज के समय में अनुकूलता की ज़रूरत है. भारतीयों को व्यवसाय करने की पुश्तैनी आदत है. अगर भारत का इतना ही गौरवशाली अतीत था व मेहनत की जाए तो हम भारत में ‘गोल्डन डेज़’ वापस ला सकते हैं.
वह दिन थे जब कभी भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था. लेकिन आज वह समय बीत चुका है. वह समय कैसे वापस ला सकते हैं,क्या सही में वह समय वापस ला सकते हैं?
इन दिनों भारत में ज़्यादातर युवाओं का आकर्षण एक्सपोर्ट इम्पोर्ट ट्रेड में है. युवाओं का आकर्षण बस धंधे की ठाट-बाट देखकर नहीं बल्कि दूरदर्शी सफलता को देख कर बढ़ा है. ‘जर्नलिस्ट कैफ़े’ से बात करते हुए नवयुग भारत के उभरते इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कारोबारी ऋषभ शुक्ल ने बताया “पहले ज़्यादातर इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट कारोबारी बस समुद्र इलाके से जुड़े हुए थे, मगर आजकल बढ़ती जागरूकता के चलते कई युवाओं को इस कारोबार में रूचि लेते देखा गया है. यह कारोबार पहले बहुत पेंचीदा हुआ करता था, मगर आजकल इस कारोबार में सरल नियमों के कारण कई सारे युवाओं ने रुचि दिखाई है.
आकड़ों की बात करें तो 1991 में चीन का कुल एक्सपोर्ट 2 प्रतिशत रहा और वही भारत का कुल एक्सपोर्ट 1 प्रतिशत रहा जो कि ज़्यादा बड़ा अंतर नहीं था. मगर आज की बात करें तो चीन का कुल एक्सपोर्ट 20 प्रतिशत है, वहीं भारत में आज के समय में कुल एक्सपोर्ट सिर्फ 3 प्रतिशत है जोकि बहुत बड़ा अंतर है. 1991 के आंकड़े और आज के आंकड़ों में ज़मीन आसमान का फर्क है. ऋषभ ने बताया “ये आंकड़े एक्सपोर्ट के क्षेत्र में जागरूकता का नतीजा हैं.”
इस क्षेत्र में सरकार की बहुत सी योजनाओं ने उभरते व्यापारियों की बहुत मदद की जिसकी वजह से लोगों को इस क्षेत्र में एक सकारात्मकता दिखी जिसकी वजह से लोग इस इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आज़माने उतर रहे हैं. ऋषभ ने ये भी बताया “एक जवान जो कि देश की सुरक्षा के लिए देश की सीमा की रक्षा करता है, एक किसान जोकि देश का पेट पालता है वैसे ही एक एक्सपोर्टर देश को फॉरेन एक्सचेंज के रूप में आर्थिक रूप से मज़बूत करता है.”
(ये लेखक के निजी विचार हैं)