बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आज 127वीं जयंती है। इस मौके पर देश भर में तमाम कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा सभी राजनीतिक दल इस मौके पर विशेष आयोजन करा रहे हैं। अंबेडकर जयंती पर सियासी दल दलितों को रिझाने की कोशिश में लगे हैं। वहीं गृह मंत्रालय इस मौके पर किसी भी तरह की जातीय व सियासी बवाल ना हो, इसके लिए अलर्ट जारी कर चुका है।
चाक-चौबंद सुरक्षा की गई और सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च भी किया
अंबेडकर जयंती पर पंजाब के भी कई शहरों में अलर्ट जारी करने के साथ अमृतसर, जालंधर और फरीदकोट में सुरक्षा बढ़ाई गई है। वहीं यूपी के हापुड़ में अंबेडकर जयंती से पहले चाक-चौबंद सुरक्षा की गई और सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च भी किया। वहीं अंबेडकर जयंती के अवसर पर गुजरात में दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी को चुनौती दी है कि वे बीजेपी नेताओं को अंबेडकर की प्रतिमा को हाथ भी नहीं लगाने देंगे।
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गृह मंत्रालय राज्य सरकारों को पहले ही अंबेडकर जयंती पर किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए एहतियाती उपाय करने का निर्देश दे चुका है। मंत्रालय ने सभी संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा निश्चित करने के साथ पुलिस-प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती पर जातीय हिंसा की आशंका से गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क किया है। राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी करते हुए गृह मंत्रालय ने अंबेडकर की मूर्तियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।
उत्पीड़न से जुड़े कानून में संशोधन का फैसला दिया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल की सुबह-सुबह देशवासियों को अंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बाबा साहेब ने समाज के गरीब और कमजोर तबके को आगे बढ़ने की उम्मीद दी। हमारा संविधान बनाने वाले बाबा साहेब के प्रति हम हमेशा आभारी रहेंगे। कांग्रेस ने डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया कि भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उत्पीड़न से जुड़े कानून में संशोधन का फैसला दिया था, जिसे लेकर देश भर में प्रदर्शन किए गए।
दलितों के हित में काम नहीं कर रही
2 अप्रैल को दलितों के भारत बंद प्रदर्शन के दौरान हिंसा भी छिड़ गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई और सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया। इस मामले में विपक्ष ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वो दलितों के हित में काम नहीं कर रही। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित विरोध के बीच केंद्र ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे विपक्ष ने दबाव में उठाया कदम बताया।
aajtak
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