इसलिए मध्य प्रदेश में 250 लोगों की रोज होती है मौत

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तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों के लिए यह सचेत करने वाली खबर है, क्योंकि इन उत्पादों का सेवन करने से देश में हर रोज 3288 लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं और मध्य प्रदेश में एक दिन में 250 लोग जान गंवा रहे हैं। 

तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से होने वाली बीमारियों से हो रही मौतों को लेकर दुनिया के कई देश चिंतित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाली बीमारियों और मौतों की रोकथाम के लिए प्रयासरत है और इसीलिए उसने वर्ष 2017 की थीम ‘विकास में बाधक तंबाकू उत्पाद’ रखा है।

आंकड़ों के अनुसार, एक सिगरेट जिंदगी के 11 मिनट व पूरा पैकेट तीन घंटे चालीस मिनट तक छीन लेता है। तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों के सेवन से देशभर में प्रतिघंटा 137 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। वहीं दुनिया में प्रति छह सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है।

वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (गेट्स )2010 के अनुसार, मध्यप्रदेश में 39.9 प्रतिशत करीब 1.9 करोड़ लोग किसी न किसी रुप में तंबाकू का सेवन करते हैं और इनमें से 90 हजार लोगों की मृत्यु तंबाकू से संबधित रोगों के कारण प्रतिवर्ष हो जाती है।

भारत में 48 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं किसी न किसी रूप में तंबाकू का प्रयोग करते हैं। खासतौर पर मध्यप्रदेश में 1.5 करोड़ लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते है, जबकि 82 लाख लोग धूम्रपान, 25 लाख सिगरेट और 65 लाख लोग बीड़ी का सेवन करते हैं।

वहीं देश की 20 प्रतिशत महिलाएं सिगरेट एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन का शौक रखती हैं, इनमें देश के साथ- साथ प्रदेश की शहरी व ग्रामीण महिलाएं भी इसमें शामिल हैं। गेट्स सर्वे के अनुसार, देश की दस फीसदी लड़कियों ने स्वयं सिगरेट पीने की बात स्वीकार की है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपेार्ट ग्लोबल टोबेको एपिडेमिक पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि महिलाओं के बीच तंबाकू का सेवन निरंतर बढ़ता जा रहा है। इनमें किशोर व किशोरियां भी शामिल हैं। जब 2010 में यह सर्वे हुआ, तब 35 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे और आज 2017 में यह आंकड़ा बड़े पैमाने पर बढ़ा होगा।

किशोर उम्र के जो लड़के-लड़कियां धूम्रपान करते हैं, उनमें से 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होकर मर जाते हैं। औसतन धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतिशत तक घट जाती है।

मध्यप्रदेश में प्रतिदिन लगभग 330 नए लोग तंबाकू की लत का शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में किशोरों में तंबाकू का सेवन शुरू करने की औसत आयु 17 साल है, जबकि किशोरियों में यह आयु 14 साल है।

उन्होंने बताया कि तंबाकू सेवन सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी है, जिसके कारण देश में प्रतिवर्ष 12 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसमें बीड़ी से पांच लाख 80 हजार, सिगरेट से 3.5 लाख और धूम्र रहित 3.5 तंबाकू पदार्थो का उपयोग करने वाले प्रतिवर्ष दम तोड़ रहे हैं।

वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण-भारत 2010 (जीएटीएस) के अनुसार, विश्व में प्रत्येक 10 में से एक वयस्क व्यक्ति की मृत्यु के पीछे तंबाकू सेवन ही है। विश्व में प्रतिवर्ष 55 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। विश्व में तंबाकू सेवन के कारण हुई कुल मौतों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि सन् 2050 तक 2.2 अरब लोग तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे होंगे।

वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम्स के पैटर्न व कैंसर चिकित्सक डॉ. टी.पी. शाहू ने बताया कि तंबाकू उद्योग द्वारा तंबाकू की दुनिया के प्रति युवकों को आकर्षित करने के प्रतिदिन नए नए प्रयास किए जा रहे हैं। ‘युवा अवस्था में ही उन्हें पकड़ो’ उनका उद्देश्य है।

हाल ही में हुए शोध में सामने आया है कि तंबाकू का सेवन करने वालों में जीन में भी आंशिक परिवर्तन होते हैं, जिससे केवल उस व्यक्ति में ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों में भी कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही इन उत्पादों के सेवन से जहां पुरुषों में नपुंसकता बढ़ रही है, वहीं महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम होती जा रही है।

डॉ. शाहू ने बताया कि तंबाकू चबाने से मुंह, गला, आमाशय, यकृत और फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) की रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि पुरुषों में 50 प्रतिशत और स्त्रियों में 25 प्रतिशत कैंसर की वजह तंबाकू है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर टोबेको कंट्रोल में दुनियाभर के 178 देशों ने अपने-अपने देश में तंबाकू नियंत्रण पर नीतियां बनाने पर सहमति जताई थीं, लेकिन इस नीति पर भी देशभर में पूरी अमल नहीं हो रहा, जिसके चलते इनका प्रचलन बढ़ता जा रहा है।

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संबंध हेल्थ फाउंडेशन के संजय सेठ ने कहा है, “सरकार को संपूर्ण राज्य में कोटपा एक्ट को कठोरता से लागू करना चाहिए, ताकि बच्चे व युवाओं की पहुंच से इसे दूर किया जा सके। इसके साथ ही जेजे एक्ट पर भी काम करना चाहिए, ताकि कोई भी वेंडर कम उम्र के बच्चों से इस प्रकार के उत्पादों का विक्रय नहीं करबा सकें।”

उन्होंने बताया कि भारत में 5500 बच्चे हर दिन तंबाकू उत्पादों के सेवन की शुरुआत करते हैं और वयस्क होने की आयु से पहले ही तंबाकू के आदी हो जाते हैं, जबकि तंबाकू सेवन करने वाले केवल तीन प्रतिशत लोग ही इस लत को छोड़ने में सक्षम हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम बच्चों को तंबाकू सेवन की पहल करने से ही रोकें। गौरतलब है कि विश्व बैंक ने भी प्रस्तावित किया है कि विकासशील देशों में तंबाकू पर कर 75 से 100 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने चाहिए, ताकि इसका उपयोग कम हो सके।

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