खुले में कोई शौच करता दिखे, तो खींच लें फोटो…
बिहार में शिक्षक अभी तक पढ़ाने के अलावा जानवरों की गिनती तक कर चुके हैं लेकिन कुछ अधिकारी उनसे स्वच्छता अभियान के तहत ‘लोटे को निगरानी’ से सम्बंधित एक आदेश से बवाल शुरू हो गया हैं। दरअसल राज्य के दो प्रखंड मुज़फ़्फ़रपुर के कुढ़नी और औरंगाबाद के देब के प्रखंड शिक्षा अधिकारियों ने फ़रमान निकाला कि शैक्षणिक कार्यों के अलावा सुबह और शाम एक एक घंटे इस बात को निगरानी रखेंगे कि कोई खुले में शौच नहीं जा रहा है और कोई व्यक्ति खुले में शौच करते पाया जाता है तब उसकी फोटोग्राफ़ी भी करना होगा।
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इस फरमान के तहत अब हाई स्कूल के शिक्षक खुले में शौच करने वालों को रोकेंगे और उनकी निगरानी करेंगे। शिक्षकों को ड्यूटी के लिए जहां पत्र भेजा गया है वहीं प्रधानाध्यापकों को शौचालय निगरानी का पर्यवेक्षक बनाया गया है।
शिक्षकों को वार्ड स्तरीय सदस्य बनाया गया है
खुले में शौच को रोकने और इसकी निगरानी के लिये शिक्षकों को वार्ड स्तरीय सदस्य बनाया गया है। इसके तहत अब प्रधानाध्यापक और शिक्षक शौचालय की राशि आवंटन, भौतिक सत्यापन, निर्माण से लेकर निरीक्षण तक का काम करेंगे।
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नई जिम्मेदारी के साथ-साथ सप्ताह में दो दिन कार्यों की समीक्षा के लिये बैठक करने का भी दिशा-निर्देश दिया गया है। राज्य के शिक्षक संघ ने इस आदेश को शिक्षकों का अपमान बताया है। शिक्षक संघ के नेताओं का कहना हैं कि शिक्षक पढ़ाई कराएंगे या ऐसे उलटे पलटें आदेश का पालन करेगा। माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शौच अभियान में शिक्षकों को शामिल करना पागलपन है।
जानकारी मिली है, इसकी जांच कराई जा रही है
सरकार अपने घिनौने फरमान को अविलंब वापस लें क्योंकि हम शिक्षकों को ये काम कभी नहीं करने देंगे। शिक्षक संघ इस फरमान को वापस लेने के लिए सीएम को पत्र लिखेगा। बहरहाल शुरू में स्वच्छता एक राष्ट्रीय अभियान हैं इसके आधार पर राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णंदन वर्मा ने कहा ऐसे आदेश में कोई ग़लत नहीं हैं मगर , राज्य के शिक्षा मंत्री इस मामले में हुई आलोचना के बाद अब सफ़ाई दे रहे हैं कि इस आदेश की जांच की जा रही है। इधर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन ने कहा है कि राज्य स्तर पर सरकार का ऐसा कोई आदेश नहीं है। ये जिला स्तर पर किया गया होगा। हमें भी मिडिया से जानकारी मिली है, इसकी जांच कराई जा रही है।
(साभार- एनडीटीवी)
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