यह है जज्बा: विधवा मां की तीन बेटियां बनी अफसर

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जयपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जो स्नेह, त्याग, कर्तव्यनिष्ठा और आत्मविश्वास की कहानी कहता है। जहां एक मां ने अपने पति की और एक बेटे ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए अपनी सारी खुशियों को त्याग दिया और कड़ी मेहनत से वह कर दिखाया जो किसी सपने से कम नहीं है और उसका पूरा होना भी एक बड़ी कामयाबी है। आपको बता दें कि यह कहानी जयपुर जिले के सारंग का बास गांव की है। जहां एक वृद्धा विधवा मां ने अपनी तीनों बेटियों को बड़ा अफसर बनाने के लिए कड़ी मेहनत मजदूरी कर अपने पति के सपने को साकार किया और इसमें उनका साथ उनके बेटे ने भी बराबर दिया। मां-बेटे के इस त्याग को जाया न करते हुए तीनों बेटियों ने जमकर पढ़ाई की और राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) परीक्षा में सफलता हासिल की।

इतना ही नहीं, तीनो में सबसे बड़ी कमला को ओबीसी रैंक में 32वां स्थान मिला, वहीं गीता को 64वां और ममता को 128वां स्थान मिला है।

पिता का सपना सच होता दिखाई आया

जज्बातों से भरी ये दास्तां कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है। जहां एक पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए तीनों बेटियों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन को सफलता की उस ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है जहां उनके पिता का सपना सच होता दिखाई देता है।

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जयपुर में रहने वाली मीरा देवी एक वृद्ध विधवा हैं जिनके पति का कई सालों तक बीमार रहने के कारण 2 साल पहले देहांत हो गया था। मां ने बताया कि उसके पति की अंतिम इच्छा थी कि उनकी तीनों बेटियां बड़ी अफसर बने। अपने पति की आखिरी इच्छा को पूरा करनी ही मीरा देवी के जीवन का मकसद बन गया था। जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने खेतों में काम किया, जिसमें उनके इकलौते बेटे रामसिंह ने भी साथ दिया। बेटे ने अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर मां के साथ खेतों में काम किया ताकि उसकी बहनें पढ़-लिख सकें। उन्होंने कड़ी मेहनत की और सपने को पूरा करने के लिए गरीबी को आड़े नहीं आने दिया।

2 साल प्रशासनिक सेवा की जमकर की तैयारी

55 वर्षीया मीरा देवी की तीनों बेटियों के नाम कमला चौधरी, ममता चौधरी और गीता चौधरी है। जिन्होंने गांव के छोटे से कच्चे घर में रहकर भी मन लगाकर पढ़ाई की। तीनों ने मिलकर 2 साल प्रशासनिक सेवा की जमकर तैयारी की। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी थी, लेकिन जिसमें कुछ अंक से वह पीछे रह गईं। जिसके बाद उन्होंने फिर से राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी और उसमें उन्हें सफलता मिली। तीनों में सबसे बड़ी कमला को ओबीसी रैंक में 32वां स्थान हासिल हुआ, वहीं गीता को 64वां और ममता को 128वां स्थान प्राप्त हुआ। तीनों बेटियों का लक्ष्य भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का है और वे इसकी पूरी तैयारी में जुटी हुई हैं।

रामसिंह का कहना है कि पिता की बीमारी के वजह से उसे बचपन में ही घर की जिम्मेदारियों का अहसास हो गया था। पिता की मौत के बाद से मां के साथ खेतों में काम करता था। रामसिंह ने कहा कि अगर मैं पढ़ाई करता तो मां के साथ खेत में काम कौन करता और फिर कैसे पिता का सपना साकार हो पाता।

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