मलेशिया में जाकिर नाईक के शरण की यह है राजनीति

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विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक काफी समय बाद पिछले महीने मलेशिया की एक प्रमुख मस्जिद में अवतरित हुए। प्रशंसकों ने उनके साथ जमकर तस्वीरें लीं। अपने बॉडीगार्ड के साथ नाईक मलेशिया की प्रशासनिक राजधानी की जिस ‘पुत्र मस्जिद’ में जनता के सामने आए थे, वहां प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट के कई मंत्री अक्सर नमाज पढ़ने आते हैं। यह सब ऐसे समय हो रहा था जब इस भारतीय मुस्लिम उपदेशक के खिलाफ उसके अपने देश में आपराधिक जांच चल रही है। हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने विशेष अदालत में नाईक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।
जाकिर नाईक के किस NGO पर सरकार ने बैन लगाया है?
इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन
· ब्रदरहुड फाउंडेशन
· जाकिर नाईक फाउंडेशन
नाईक ऐंड नाईक फाउंडेशन
गौरतलब है कि यूके सरकार ने नाईक पर बैन लगा रखा है। जबकि मलेशिया में उन्हें स्थायी ठिकाना मिल चुका है। यहां के टॉप सरकारी अधिकारी भी उन्हें काफी तवज्जो देते हैं। ऐसे में यह जानना काफी दिलचस्प है कि एक विवादित इस्लामिक उपदेशक की मलेशिया में मेहमाननवाजी की वजह क्या है?
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आलोचकों का कहना है कि मलेशिया में नाईक का होना इस बात का संकेत है कि देश में कट्टर इस्लाम को उच्च स्तर पर समर्थन मिल रहा है। देश में ईसाई, हिंदू और बौद्ध अल्पसंख्यक हैं और देश की उदार इस्लामिक छवि रही है। पीएम नजीब रजाक के कार्यकाल में हाल के वर्षों में मलेशिया में इस्लाम का राजनीतिक इस्तेमाल बढ़ा है। खासतौर से 2013 के आम चुनाव के बाद, जब रजाक ने पॉप्युलर वोट खो दिया था। सत्तारूढ़ गठबंधन का यह सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन था।
इसके बाद से रजाक की सत्तारूढ़ पार्टी कंजरवेटिव जातीय मलय-मुस्लिम बेस को बढ़ाने के लिए तुष्टीकरण करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में चुनावों से पहले धर्म एक नया जंग का मैदान बन गया है। मलयेशिया में 2018 के मध्य में चुनाव होने वाले हैं।
नाईक पर कट्टरता बढ़ाने और आतंक के लिए प्रेरित करने का आरोप
52 वर्षीय मेडिकल डॉक्टर जाकिर नाईक पर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ की तरफ ले जाने के लिए भड़काऊ प्रवचन देने का आरोप है। नाईक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर भारत सरकार ने रोक लगा रखी है। वह पिछले साल गिरफ्तारी से बचने के लिए भारत छोड़कर चले गए थे, जब ढाका आतंकवादी हमले के कुछ हमलावरों ने दावा किया था कि वे नाईक से प्रेरित थे। बांग्लादेश में पीस टीवी चैनल पर बैन है, जिस पर उनके विवादित प्रवचन प्रसारित होते रहते हैं। नाईक ने ओसामा बिन लादेन का भी समर्थन किया था।
बांग्लादेश की तरह ही भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जाकिर नाईक के विवादित प्रवचन दिखाने वाले पीस टीवी पर बैन लगा रखा है। इसके बावजूद हाल में खबर आई थी कि ना

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