मोहन भागवत की इस टिप्पणी से बीजेपी में खलबली
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद पहली बार संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर से किसी तरह की टिप्पणी सामने आई है. आरएसएस प्रमुख ने सोमवार को कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता है और वह दूसरों को नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है. सेवक में अहंकार आ जाए तो वह सेवक नहीं होता है. मोहन भागवत के इस बयान के बाद से बीजेपी में खलबली सी मच गई है. इतना ही नहीं मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जिस भाषा का प्रयोग किया गया है और मर्यादा का ख्याल नहीं रखा गया है वह आगामी आने वाले समय में चिंता का विषय है.
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आरएसएस ट्रेनिंग कैंप में दिया बयान
बता दें कि मोहन भागवत आरएसएस कार्यकर्ताओं के लिए जारी ट्रेनिंग कैंप के समापन के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि आम सहमत की जरूरत पर भी जोर डाला जाए. मोहन भागवत ने कहा कि जो वास्तविक सेवक है जिसको वास्तविक सेवा कहा जा सकता है वह मर्यादा से चलती है. और उसे मर्यादा का पालन करके जो चलता है वह कर्म करता है लेकिन कर्मों में लिप्त नहीं होता. उसमें अहंकार नहीं आता कि यह मैंने किया है और वही सेवक कहलन का अधिकारी भी रहता है.
चर्चा में मोहन भागवत का बयान
बता दें कि आरएसएस प्रमुख की टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब बीजेपी ने मंत्री मंडल की घोषणा कर चुकी है और आरएसएस परिणाम के बाद की स्थिति पर विचार विमर्श में जुटा है. इतना ही नहीं मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव को युद्ध के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस तरह की चुनाव के दौरान बातें कही गई जिस तरह से दोनों पक्षों में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप रूप लगाएं. जिस तरह से किसी को इस बात की परवाह नहीं थी कि जो कुछ किया जा सकता है उसके कारण सामाजिक विभाजन पैदा हो रहा है और बिना किसी कारण के संघ को इसमें घसीटा गया और झूठ फैलाया गया.
मणिपुर पर जताई चिंता
मोहन भागवत ने मणिपुर पर चिंता जताई और पूछा कि जमीनी स्तर पर इस समस्या पर कौन ध्यान देगा?. उन्होंने कहा कि इस समस्या से प्राथमिकता के आधार पर निपटना होगा. उन्होंने कहा कि मणिपुर पिछले 1 साल से शांति का इंतजार कर रहा है. लेकिन सरकार ने क्या कदम उठाए इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया गया.पिछले एक दशक से या शांतिपूर्ण था ऐसा लग रहा था कि पुराने जमाने की बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है लेकिन यह फिर से शुरू हो गया. मणिपुर अभी भी चल रहा है इस पर कौन ध्यान देगा इसे प्राथमिकता के आधार पर निपटाना हमारा कर्तव्य है.