छात्रों के लिए क्विज कांटेस्ट है दिमागी कसरत
40 के आस-पास की आयु वाली मौजूदा पीढ़ी को अपने किशोरावस्था के दिनों की वे शामें जरूर याद होंगी, जो उन्होंने विद्यार्थियों को टेलीविजन पर बोर्नविटा क्विज कांटेस्ट में जीत हासिल करने के लिए दिमागी कसरत करते देखते हुए बिताई होंगी।
प्रश्नोत्तरी मंच के महत्व को रेखांकित करती हैं
लेकिन इस क्विज कॉन्टेस्ट शो के बाद इतने बड़े स्तर पर कोई अखिल भारतीय क्विज शो फिर प्रसारित नहीं हुआ।मौजूदा समय में हमारे पास नेशनल ओलंपियाड व एनटीएसई (राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा) जैसी प्रतियोगिताएं हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रश्नोत्तरी मंच के महत्व को रेखांकित करती हैं।
सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है
शिक्षा प्रणाली को बदलने व विद्यार्थियों को पारंपरिक शिक्षण पद्धति से सीखने की प्रक्रिया से विराम देने के लिए स्कूलों व कॉलेजों में प्रश्नोत्तरी संस्कृति को फिर से शुरू करने की सख्त जरूरत है। प्रौद्योगिकी प्रश्नोत्तरी में नावाचार लाने में सहायक हो सकती है और विद्यार्थियों की इसमें सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।
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विद्यार्थियों के ज्ञान व कम उम्र में नए कौशलों के विकास के साथ, स्पष्ट अकादमिक फायदों के अलावा प्रश्नोत्तरी शिक्षा प्रणाली को विशेष तौर पर फिर से परिभाषित कर सकती है।
* आज प्रश्नोत्तरी संवाद का बेहतरीन मंच है, जहां विद्यार्थी पुरस्कार पाने या रात भर में प्रसिद्धि पाने के लिए भाग नहीं ले रहे, बल्कि ज्ञान हासिल करने, अकादमिक उत्कृष्टता व अपना भविष्य सुरक्षित करने के मौके तलाशते हैं।
* प्रश्नों के पाठ्यक्रम से बाहर से होने से चिंतन व व्यापक शोध की जरूरत होती है। इससे छात्रों को कम उम्र से ही नवाचार की आदत को अपनाने की जरूरत होती है।
* प्रश्नोत्तरी में भाग लेते समय छात्रों को दल बनाने की जरूरत होती है, जिससे उन्हें साथ मिलकर काम करने का मौका मिलता है। इससे उनमें सहयोग की भावना विकसित होती है।
* साक्षात्कार के दौरान नियोक्ता पाते हैं कि भारतीय छात्र सैद्धांतिक ज्ञान में अच्छे हैं, लेकिन उद्योग जगत के बारे में कम जानते हैं। यह मौजूद पाठ्यक्रम की वजह से है। इसी वजह से बाजार के मुताबिक विद्यार्थियों को तैयार करने में बड़ा अंतर है।
अनोखे ऑनलाइन कार्यक्रमों के जरिए आगे आई हैं
इसमें कॉरपोरेट छात्रों को शुरू में कौशल को विकसित करने व नौकरियों के लिए तैयार करने में जरूरी भूमिका निभा सकते हैं। इसके लिए पर्याप्त संसाधन है, बस सामग्री पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इस संदर्भ में कई कॉरपोरेट कंपनियां अपने अनोखे ऑनलाइन कार्यक्रमों के जरिए आगे आई हैं।
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