आगरा के ये दो गांव बैठे हैं बारूद के ढेर पर
हम यूपी आगरा के दो ऐसे गाँवों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बारूद के ढेर पर बैठे हैं।
गांव के कुछ परिवार जिनमें उनके बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग हैं इन्ही पटाखों से अपना जीवन यापन करते हैं। यही रोजी-रोटी कमाने का इनका जरिया है।
आगरा की तहसील एत्मादपुर के हैं ये गांव
गांव धोर्रा और नगला खरगा।
इन गाँवों में दिवाली से 3 माह पहले से ही देसी बम बनाने का काम शुरू हो जाता है।
प्रशासन के अनुसार नगला खरगा में 4 लाइसेंस और गाँव धौर्रा में एक लाइसेंस की बात की जाती है।
एक दर्जन से अधिक लोग मौत की बारूद से खेलने का काम करते हैं
मगर इन दोनों गांव में करीब एक दर्जन से अधिक लोग मौत की बारूद से खेलने का काम करते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार यह इन ग्रामीणों का कोई शौक नहीं है बल्कि रोजी रोटी कमाने का एक जरिया है।
गांव के बाहर खेतों में बने कुछ मकानों में देसी बम बनाने का काम चल रहा है।
समझाने पर माने
जब हमने जानकारी करनी चाही तो पहले तो ग्रामीणों ने किसी भी तरह की जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया।
उन्हें समझाया गया कि वे उनके खतरों से खेलने के काम को उजागर करने आए हैं।
तब जाकर एक बम बनाने वाले लायक सिंह अपने खेतों पर बन रहे बमों के बारे में बताने को तैयार हुए।
फिर भी उन्होंने देसी बम का वीडियो बनाने से साफ इनकार कर दिया।
उनका कहना था कि वह पिछले 2 वर्षों से मंदी से जूझ रहे हैं।
इसलिए चैनलों पर अपना चेहरा दिखा कर अपने काम में और अड़ंगा नहीं डलवाना चाहते।
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