थिएटर एसोसिएशन के सचिव ने राज्यपाल को भेजा पत्र
थिएटर एवं फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव दबीर सिद्दीकी ने उप्र कला-संस्कृति के सर्वाधिक प्रतिष्ठित अकादमी पुरस्कार में हुई धांधली का संज्ञान लेने व विगत 10 वर्षों के घोषित पुरस्कारों की सूची निरस्त कर नये सिरे से पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाये का अनुरोध करते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर संगीत व रंगमंच के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले महानुभावों का अकादमी पुरस्कारों के लिए चयन होता है। पुरस्कार वितरण समारोह राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में किया जाता है। उत्तर प्रदेश में भी यह परम्परा रही है कि पुरस्कृत कलाकारों को राजभवन, लखनऊ में राज्यपाल द्वारा रात्रिभोज पर बुलाकर सम्मान दिया जाता रहा है।
राज्यपाल के रुप में आप इस राज्य की कला-संस्कृति की संवैधानिक संरक्षक हैं। पिछली राज्य सरकारें कलाकारों के प्रति उदासीन रही हैं। राज्य की कोई सांस्कृतिक नीति नहीं है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (एन.सी.जेड.सी.सी.) की अध्यक्ष के रुप में भी हम कलाकारों की आप संरक्षक हैं। संस्कृति विभाग, उप्र. शासन के अधीन कार्यरत उप्र संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष संगीत व रंगमंच से जुड़ी दस विभूतियों को सम्मानित किया जाता रहा है। लेकिन पिछले 11 वर्षों से यह प्रक्रिया लम्बित है। वर्ष 2016 में वर्ष 2003 से 2008 तक के लम्बित पुरस्कार बांटे गये थे। गत 29 अगस्त, 2019 को अकादमी द्वारा पिछले इस वर्षों का अकादमी पुरस्कार घोषित किया गया, जिसमें व्यापक धांधली हुई है। अयोग्य लोगों को पुरस्कार दिये जाने की घोषणा से कला जगत में भारी निराशा और आक्रोश है।
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इस तरह हुई धांधली
1.पुरस्कार की नियमावली के विरुद्ध संस्तुतियां व आवेदन मंगाया जाना।
2.नियमावली के विरुद्ध प्राप्त आवेदनों जैसे- कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम आदि नृत्य विधाओं के कलाकारों को भी पुरस्कार सूची में सम्मिलित करना।
3.वरिष्ठ कलाकारों की अनदेखी करते हुए कनिष्ठ कलाकारों का नाम चयनित किया जाना।
4.एक ही संस्था के दो लोगो को चयन समिति में रखा जानाए और अपनी ही संस्था के दस लोगो का पुरस्कार हेतु चयनित किया जाना।
5.एक वरिष्ट नृत्यांगना के द्वारा अपने समस्त शिष्यों को ही पुरस्कार हेतु चयनित किया जाना।
6.सफदर हाशमी पुरस्कार और बीएम शाह पुरस्कार भी कई वर्षाें से नहीं वितरित हुआ। लम्बित कई वर्षों के पुरस्कार के लिए नामों पर बिना विचार किये मात्र दो वर्षों के लिए ही नाम का चयन किया जाना।
7.विगत दस वर्षों के घोषित पुरस्कारों की सूची निरस्त कर नये सिरे से पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाएं।
उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध करते हुए यह भी कहा कि अकादमी पुरस्कार की अव्यावहारिक राशि रुपए 10,001 से बढ़ाकर 5,00000 किये जाने के लिए राज्य सरकार को स्पष्ट व प्रभावी निर्देश देने की कृपा करें।
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