एनेक्सी पर चढ़ रहा भगवा रंग

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इस रंग भरी दुनिया में रंगों का कितना महत्व है ये बात हर किसी को पता है। कहते हैं बिना रंग के जिंदगी बेरंग हो जाती है। लेकिन देश की राजनीति में रंगों का अपना अलग ही खेल है साहब। रंगों के इस खेल में देश की राजनीति पूरी तरह से रंग चुकी है। रंगों का ऐसा खेल खेला जा रहा है जिसको समझना बहुत ही मुश्किल है। खासकर जब आप उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे के वासी हो। यूपी की राजनीति अब रंगों का ऐसा खेल बन गया है जिसमें पार्टियों से सरकारी दफ्तर सभी का रंग बदल जाता है।

एनेक्सी पर भी चढ़ रहा है भगवा रंग

दरअसल, योगी सरकार अब एनेक्सी को भी भगवामय करने लगी है। मतलब सीएम का कार्यालय भी अब सीएम की तरह भगवाधारी होने लगा है। शास्त्री भवन की इस समय रंगाई पुताई चल रही है और भवन के गेट नंबर दो के आसपास बाउंड्री वॉल को भगवा रंग से रंग दिया गया है। इसके बाकी हिस्से का रंग कैसा होगा इस पर अभी कोई राय नहीं बनी है। शास्त्री भवन का शिलान्यास 1979 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास ने किया था।

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परिवहन विभाग की बस हो या फिर कूड़ा उठाने वाली गाड़ी, सब भगवा हो गए

सरकार बदलती नहीं है कि सड़कों के किनारे लगी होर्डिंग्स, सड़क पर फर्राटा भरती परिवहन विभाग की बसे और तो और अब सरकारी बिल्डिंग्स भी रंगों के इस खेल में आ गई हैं। इस बात का इतिहास गवाह है कि जब भी सूबे में सरकारें बदली हैं तो गरीबों की किस्मत भले ही न बदली हो लेकिन सरकारी तंत्र का रंग जरुर बदल गया। अब योगी सरकार को ही ले लेते हैं। जब से सत्ता में महंत जी आए हैं सब चीजों का भगवाकरण किए जा रहे हैं। अब इनको कौन समझाए कि अगर बदलना ही है तो गरीबों की किस्मत बदलिए, सड़कों की हालत बदलिए, सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के तंत्र को बदलिए, न की बसों का रंग, कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों का रंग, सरकारी इमारतों के रंग।

बाबू बनारसी दास ने किया था शिलान्यास

साल 1982 में इस बिल्डिंग का उद्घाटन किया गया था। जनता के पैसों का रंगों के इस खेल में किस तरह से बंदरबाट किया जा रहा है, ये किसी से छुपा नहीं है। सरकारी पैसे से पार्टी का प्रचार करना तो कोई इन पार्टियों से सीखे जो जनता की गाढ़ी कमाई को अपनी पार्टी के प्रचार में पानी की तरह उड़ा रहे हैं।

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पिछली सरकारों ने भी सरकारी पैसे से किया पार्टी का प्रचार

सिर्फ योगी सरकार को दोष देना या सवाल उठाना सही नहीं होगा क्योंकि रंगों के इस खेल में और भी पार्टियों ने जनता का पैसा अपनी पार्टी को चमकाने में खूब उड़ाया है। इससे पहले अखिलेश यादव की सरकार ने भी सरकारी पैसे का पूरा फायदा उठाया और बसो के रंग से लेकर सड़कों के किनारे बनवाए गए साइकिल ट्रैक जैसी योजनाओं में समाजवादी रंग का ऐसा घोल चढ़ाया जो अबतक नहीं उतरा है। वहीं मायावती ने भी इन रंगों से अपनी राजनीति को चमकाने की भरपूर कोशिश की। मायावती ने साल 2007 में जब सत्ता में आई थी तो आते ही उन्होंने भी परिवहन विभाग की बसो को नीले रंगों से सजा दिया था।

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