अयोध्या भूमि विवाद : मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की कवायद शुरू
शीर्ष अदालत के निर्देश पर अयोध्या भूमि विवाद का हल मध्यस्थता के जरिए तलाशने की कवायद आज से शुरू हो रही है। पक्ष-विपक्ष समेत मामले से जुड़े अधिवक्ताओं में मध्यस्थता का खाका कैसा होगा, किसे कमेटी बुलाएगी, क्या-क्या दस्तावेज सौंपे जाने हैं, इसे लेकर सरगर्मी तेज होती दिख रही है। इस बीच मुस्लिम नेता जफरयाब जिलानी अयोध्या पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है मंगलवार को पैनल पहुंच जाएगा और बुधवार से मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। दूसरी तरफ मध्यस्थता को लेकर दोनों पक्षों सहित संत-धर्माचार्यों की राय अलग-अलग है।
मुस्लिम पक्ष के इकबाल अंसारी ने जहां मध्यस्थता से मामले के समाधान की उम्मीद कम जताते हैं, वहीं हाजी महबूब सहित महंत धर्मदास व निर्मोही अखाड़ा मध्यस्थता का स्वागत करते हुए वार्ता को तैयार हैं।
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जबकि विश्व हिंदू परिषद सहित रामनगरी के संत-धर्माचार्यों ने स्पष्ट कर दिया गया है कि हम कोर्ट का तो सम्मान करते हैं, लेकिन राममंदिर के नाम पर कोई समझौता नहीं होगा।
मध्यस्थता के स्वरूप की जानकारी नहीं
पक्षकार निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि अभी उन्हें मध्यस्थता के स्वरूप की कोई जानकारी नहीं है। कोर्ट की मध्यस्थता की पहल सराहनीय है।
निर्मोही अखाड़ा तो पहले से ही आपसी सुलह-समझौते के पक्ष में रहा है। बातचीत का विरोध करने वाले इस बात से डरे हैं कि मामला हल हो गया तो, उनकी दुकान बंद हो जाएगी।
वार्ता से हल हो सकते हैं विवाद
हिंदू पक्षकार महंत धर्मदास कहते हैं कि वार्ता से अक्सर बड़े-बड़े विवाद हल हो जाते हैं। रामजन्म भूमि पर मंदिर बने, अयोध्या के बाहर मस्जिद बने हमें एतराज नहीं है। अयोध्या गंगा-जमुनी तहजीब की नगरी है, यहां हिंदु-मुस्लिम एक साथ प्रेम से रहते है। समाधान कुछ इस तरह होना चाहिए कि जिसका संदेश पूरे विश्व में जाए, तहजीब और मजबूत हो।