इराक में मारे गए भारतीयों के शवों को लेने से परिवार का इंकार

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इराक के मोसुल में मारे गए भारतीयों में से दो के परिजनों ने उनका शव लेने से साफ इनकार (refused) कर दिया है। बिहार के सीवान स्थित पुलिस लाइन इलाके में दो परिवारों ने ऐसा किया है। दोनों ही पीड़ित परिवारों ने इस संबंध में राज्य सरकार से आर्थिक मदद की उम्मीद जताई है, जबकि दो अन्य परिवार मौके पर नहीं पहुंचे।

विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह देश वापस लेकर आए थे

इराक से भारत लाए गए 38 शवों में से पांच शव सोमवार (2 अप्रैल) को बिहार लाए गए थे। बताते चलें कि सोमवार को इराक से 38 भारतीयों के शवों को विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह देश वापस लेकर आए थे। पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर मोसुल ये शव लाए गए थे। साल 2014 में खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने इन भारतीयों को अगवा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मारे गए सभी भारतीय इराक में भवन निर्माण के काम में मजदूरी करने गए थे। भारत सरकार बीते तीन सालों से उनका पता लगाने में जुटी थी। काफी मशक्कत किए जाने के बाद इन लाशों का डीएनए मिलाया गया, तब जाकर सभी 38 लाशों की शिनाख्त की जा सकी।ताजा मामले में बिहार के दो परिवारों ने लाश स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

उधर, सीवान के जिलाधिकारी की प्रतिक्रिया आई है

मृतक अदालत सिंह के परिजन श्याम कुमार ने बताया, सरकार से जब तक हमें मदद नहीं मिलेगी, तब तक हम लाश नहीं ले जाएंगे। परिवार का गुजारा कैसे होगा? वहीं, मृतक सुनील कुमार की पत्नी पूनम देवी ने कहा कि घर में कमाने वाले वही अकेले थे। अब मुझे बच्चों का पेट पालने और घर का खर्चा चलाने के लिए नौकरी की जरूरत है।उधर, सीवान के जिलाधिकारी की प्रतिक्रिया आई है।

डीएम महेंद्र कुमार ने कहा, हम उन पीड़ित परिवार वालों को समझाने का प्रयास करेंगे। नियमानुसार उन्हें हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी, जबकि मोसुल में मारे गए दो भारतीयों के परिजन अपनी मर्जी से यहां नहीं आए।

जनसत्ता

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