कठुआ गैंगरेप केस: पीड़ित बच्ची के असली पिता की कोर्ट में होगी पेशी

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जम्मू-कश्मीर के कठुआ में कथित रूप से गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में बच्ची के असली पिता को अभियोजन पक्ष जनवरी में अदालत के सामने पेश करेगा। हालांकि, इस मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि अभियोजन पक्ष के उन पर गवाह के रूप में भरोसा करने की संभावना नहीं है।

उन्होंने पीड़िता के पिता को उस समय कोर्ट में पेश करने का फैसला किया, जब बचाव पक्ष उसके पालक पिता की गवाही के आधार पर जीत के दावे कर रहा था। वह 221 गवाहों में से एक हैं। बचाव पक्ष के वकील पालक पिता की गवाही पर सवाल उठाते हुए उनके और विक्टिम के रिश्ते को क्रॉस- इग्जैमिन कर रहे थे। उन्होंने स्वीकार किया कि वह लड़की के असल पिता नहीं हैं। उन्होंने बताया कि 2002 में उनके साथ एक दुर्घटना घटी थी, जिसमें उन्होंने अपनी 7 वर्षीय बेटी समेत तीन बच्चों को खो दिया था। इसके बाद उन्होंने पीड़िता को उसके असल माता-पिता से गोद लिया था।

बच्ची के साथ रेप और हत्या का है आरोप

उन्होंने जब लड़की को गोद लिया था, तब उसकी उम्र छह महीने थी। वहीं, गवाही से पता चला कि असल माता-पिता में से कोई भी लड़की का शव लेने नहीं आया था और ना ही उन्होंने पुलिस से संपर्क किया था। सूत्रों ने बताया कि असल पिता की गवाही से अभियोजन पक्ष को ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। हालांकि, इसके बावजूद उन्हें अदालत के सामने पेश किया जाएगा। केस में उनकी कितनी अहमियत है, यह तय करना कोर्ट का काम है। वहीं, पालक पिता ने अदालत को बताया कि उन्होंने शुरुआत में पुलिस को अपने और पीड़िता के संबंध के बारे में बता दिया था, लेकिन उसने शिकायत में इसका जिक्र नहीं किया था।

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दूसरी तरफ, बचाव पक्ष दावा कर रहा है कि पालक पिता ने इस ‘अहम जानकारी’ को अदालत से छुपाया था। अभियोजन पक्ष को लगा कि ट्रायल में इस बात की ज्यादा अहमियत नहीं है, क्योंकि यह गोद लेने का विवाद नहीं, बल्कि बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या का मुकदमा है। बचाव पक्ष के वकील ने क्रॉस-इग्जैमिन के दौरान लड़की को इस्लाम के तहत गोद लेने को लेकर भी सवाल किया। हालांकि, पालक पिता ने दावा किया कि इस्लाम के तहत गोद लेने के लिए जरूरी सभी प्रक्रियाओं का गवाहों की मौजूदगी में पालन किया गया था, जिस पर डिफेंस ने सवाल उठाए थे।

पीड़ित बच्ची को पालने पोषण करने वाले पिता से हो रही थी पूछताछ

डिफेंस ने लड़की के जन्म की तारीख को लेकर भी पालक पिता से सवाल-जवाब किया था। इस पर पिता ने जवाब दिया कि उन्होंने उसे दर्ज नहीं किया था और उन्हें अपनी जन्मतिथि का भी पता नहीं है। वहीं, अभियोजन पक्ष ने उन लोगों के दावों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि पीड़िता के असल माता-पिता का दो साल पहले देहांत हो गया था।साभार

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