अब पुलिस की वजह से पासपोर्ट बनवाने में लेटलतीफी नहीं होगी। यहां आवेदक का एड्रेस प्रूफ डाकिया द्वारा वेरीफाई कराया जाएगा। वहीं पुलिस को सिर्फ और सिर्फ आवेदक की आपराधिक रिपोर्ट देनी होगी। नतीजन, आवेदक को पासपोर्ट 20 से 25 दिन के बजाय सिर्फ 10 से 12 दिन में ही मिल जाएगा।
पुलिस थाने से खंगालेगी रिकॉर्ड
बता दें कि विदेश मंत्रालय एक नई व्यवस्था पर विचार कर रहा है। जल्द ही इस व्यवस्था को अमलीजामा पहनाया जा सकता है। इसमें पुलिस वेरिफिकेशन का चक्कर नहीं फंसेगा, बल्कि पुलिस थाने से ही अपराधिक रिकॉर्ड चेक करेगी। इसके बाद अगर अपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता है तो ग्रीन सिग्नल की रिपोर्ट पासपोर्ट ऑफिस को भेज देगी।
अधिकारियों के मुताबिक, आवेदक को दो तरह के वेरीफिकेशन के दौर से गुजरना पड़ता है। एक निवास स्थान दूसरा आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाती थी। इसमें दोनों तरह के वेरिफिकेशन पुलिस द्वारा कराया जाता था। लेकिन नई व्यवस्था के तहत एड्रेस प्रूफ को पोस्टमैन वेरिफाई करेगा और पुलिस सिर्फ अपराधिक रिकॉर्ड संबंधी रिपोर्ट देगी।
इसलिए होती थी देरी
दरअसल, विदेश मंत्रालय को पासपोर्ट आवेदकों की लगातार शिकायतें मिल रही थीं जिसमें पुलिस के शिथिल रवैये से पासपोर्ट बनने में बेवजह देरी की बात कही जा रही थी। पुलिस, आवेदक के घर जाकर एड्रेस प्रूफ का सत्यापन करती है। इस दौरान आवेदक के घर पर होने की स्थिति में पुलिस गैर-मौजूदगी की रिपोर्ट पासपोर्ट कार्यालय को भेज देती है जिसके बाद पासपोर्ट कार्यालय से आवेदक को नोटिस जारी की जाती है।
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नई व्यवस्था इसलिए खास
इस कारण पासपोर्ट बनने में 10 से 12 दिन की बेवजह देरी होती है। लेकिन नई व्यवस्था के तहत थाने पर एक फॉर्म भेजा जाएगा। यह फॉर्म भरकर पुलिस इसे पासपोर्ट कार्यालय भेजेगी। इसमें आवदेक का निवास स्थान, नागरिकता और व्यक्तिगत अपराधिक रिकॉर्ड जैसी जानकारी शामिल है।
डाकिया की बढ़ी भूमिका
डाकिया ही आवेदक के निवास स्थान को सत्यापित करेगा। डाकिया पासपोर्ट कार्यालय को बताएगा कि दर्शाए गए पते पर आवेदक रहता है अथवा नहीं। पुलिस का काम सिर्फ और सिर्फ क्राइम रिपोर्ट देना होगा। इससे पासपोर्ट बनने में होने वाली लेट लतीफी से बचाव होगा। सामान्य तौर पर आवेदक को पासपोर्ट 20 से 25 दिन के बजाय सिर्फ 10 से 12 दिन में ही मिल जाएगा।