छठ का महापर्व कल से, नहाय – खाय से लेकर जानिए अर्घ्य की तिथियां ?

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बिहार की लोक आस्था का चार दिवसीय पर्व छठ की शुरूआत कल यानी 5 नवंबर से हो रही है. इस पर्व का समापन 8 नवंबर को होना है. चार दिवसीय इस पर्व में पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन होता है. आपको बता दें कि छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार माना गया है. इस उत्सव पर छठी माई की भगवान सूर्य के साथ पूजा जाती है. यह व्रत सबसे कठिन में से एक माना जाता है. इस पर्व में आस्था रखने वाले लोग पूरे वर्ष इसे देखने व मनाने के लिए इंतजार करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ का व्रत किया जाता है ताकि संतान की सफलता, सुख-समृद्धि और दीर्घायु मिले. इसके साथ ही आइए जानते है इस पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें …

छठ पूजा कैलेंडर

छठ पूजा का पहला दिन                       नहाय-खाय                                              5 नवंबर, दिन मंगलवार
छठ पूजा का दूसरा दिन                        खरना (लोहंडा)                                       6 नवंबर, दिन बुधवार
छठ पूजा का तीसरा दिन                       छठ पूजा, संध्या अर्घ्य                               7 नवंबर, दिन गुरूवार
छठ पूजा का चौथा दिन                         उगते सूर्य को अर्घ्य, पारण                        8 नवंबर, दिन शुक्रवार

नहाय – खाय से हुई छठ की शुरूआत

इस व्रत को काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि, इस व्रत 36 घंटों तक के कठिन नियमों का पालन करते हुए व्रत रखा जाता है. छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग 24 घंटे से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं. षष्ठी तिथि को पर्व का मुख्य व्रत किया जाता है. लेकिन छठ पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होती है और सप्तमी तिथि को प्रातःकाल अर्घ्य देने के बाद समाप्त होती है.

दूसरा दिन खरना

नहाय खाय के बाद दूसरे दिन खरना किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत की शुरूआत करती है. इस दिन खीर और मीठी रोटी का प्रसाद तैयार किया जाता है.

तीसरा दिन संध्या अर्घ्य

छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. संध्या अर्घ्य या अस्तचलगामी अर्घ्य का पहला अर्घ्य भी कहते हैं. इस दिन सूप में सभी प्रसाद जैसे – ठेकुआ, फल, नारियल आदि को रखकर दूध मिश्रित जल से अर्घ्य दिया जाता है.

चौथा दिन उदय सूर्य अर्घ्य

चौथा दिन यानी अंतिम दिन छठ पर्व में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस महाव्रत का समापन करके, व्रती पारन करतीं हैं. इस साल 8 नवंबर को उगते सूर्य को पूजा की जाएगी.

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छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है. भक्त इस पूजा में गंगा नदी से मिलने वाले पवित्र जल में स्नान करते हैं. महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्य देव और छठी माता के लिए भोजन बनाती हैं. दूसरे और तीसरे दिन खरना और छठ पूजा हैं. इसके साथ ही चौथे दिन, महिलाएं पानी में खड़े होकर सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर व्रत का पारण करती हैं.

छठ पूजा में इन नियमों का करें पालन

छठ पूजा के दिनों में भूलकर भी मांसाहारी भोजन न करें. छठ पूजा पर प्याज और लहसुन भी नहीं खाना चाहिए.
इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाओं को सूर्य देव को अर्घ्य देना अनिवार्य है.
छठ पूजा का भोजन बहुत पवित्र है. इसे बनाते समय भूलकर भी जूठा नहीं करना चाहिए.
बांस से बने सूप और टोकरी का ही पूजा करना चाहिए. पूजा करते समय स्टील या शीशे के बर्तन कभी नहीं प्रयोग करें.
प्रसाद भी शुद्ध घी में बनाया जाना चाहिए.

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