किसानों के लिए खुशखबरी: सरकार ने धान-मूंग सहित इन खरीफ फसलों की बढ़ाई MSP, जानें कैसे तह होता है MSP मूल्य

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लखनऊ डेस्क : केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी ख़ुशी दी है. जी बिलकुल, खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP) बढ़ाने की घोषणा की है. पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता की अगुवाई में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय सिमित (CCEA ) क बैठक में 2023-24 के फसल वर्ष के लिए खरीफ की 17 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने की मंजूरी दी गई.

सबसे ज्यादा मूंग की दाल पर समर्थन मूल्य…

सरकार ने मूंग दाल का समर्थन मूल्य सबसे ज्यादा 10 प्रतिशत बढ़ाया है. धान का मिनिमम सपोर्ट प्राइस 143 रुपए बढ़ाकर 2,183 रुपए प्रति क्विंटल करने की गई है. वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने कहा कि इस कदम का मकसद किसानों को धान की खेती के लिए प्रोत्साहन देना और उनकी उनकी आमदनी बढ़ाना है.

इन फसलों पर बढ़ी एमएसपी…

वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि सामान्य ग्रेड के धान का एमएसपी 143 रुपये मूल्य बढ़कर 2,040 से 2,183 रूपया प्रति क्विंटल कर दिया गया है. वहीं ए ग्रेड के धान की कीमत बढ़कर 163 रुपये के मूल्य से बढ़कर 2,203 रुपये क्विंटल किया गया है. मूंग का एमएसपी अब 8,558 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है. यह पिछले साल 7,755 रुपए प्रति क्विंटल था. ज्वार हाइब्रिड का एमएसपी 210 रुपए, बाजरा का 150 रुपए, रागी का 268 रुपए, मक्का का 128 रुपए, अरहर का 400 रुपए, मूग का 803 रुपए, उड़द का 350 रुपए, मूंगफली का 527 रुपए, सूरजमुखी बीज का 360 रुपए, सोयाबीन पीला का 300 रुपए और सनफ्लावर सीड का एमएसपी 360 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है.

क्या है एमएसपी…

किसानों द्वारा उगाई गई फसलों के लिए सरकार एक दाम फिक्स करती है, जिसे किसान फसल होने के बाद उसी भाव पर मंडी में बेचता है, तो सरकार की ओर से उस फसल के लिए तय की हुई कीमत दी जाती है. एमएसपी किसानों को सरकार के तरफ से दिया जाने वाला एक आर्थिक भरोसा है, जिससे किसानों को फसल उगाने से पहले उसकी कीमत का अंदाजा हो जाता है कि उसे इस फसल की कितनी कीमत मिलेगी. सरकार मांग और सप्लाई को आसान बनाने के लिए किसान के फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है ताकि कुछ भी हो उस किसान को उस फसल के लिए कम से कम इतनी रकम तो मिलेगी ही.

एमएसपी देने के लिए क़ानूनी रूप से बाध्य नहीं सरकार…

सरकार किसी भी क़ानूनी रूप से किसानों को एमएसपी देने के लिए बाध्य नहीं है. जिसका सीधा मतलब यह है कि देश में एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं है. सरकार चाहे तो किसानों को एमएसपी देगी या नहीं. इसका फैसला सरकार करेगी। केंद्र सरकार की कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए एमएसपी तय करती है.

इन चीजों को ध्यान में रखकर किया जाता है एमएसपी तह…

जब भी CACP न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनुशंसा करता है, तो वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही इसे तय करता है. इसके लिए उत्पाद की लागत क्या है, इनपुट मूल्यों में कितना परिवर्तन आया है, बाजार में मौजूदा कीमतों का क्या रुख है, मांग और आपूर्ति की स्थ‍िति क्या है , अंतरराष्ट्रीय मूल्य स्थ‍िति, इसके अलावा सीएसीपी स्थानी,‍ जिले और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्थ‍ितियों का जायजा लेने के बाद ही सब तय करता है.

इन फसलों का सरकार हर साल तय करती है एमएसपी…

अनाज: धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी.
दाल: चना, अरहर/तूर, मूंग, उड़द और मसूर.
तिलहन: मूंगफली, सरसों, तोरिया, सोयाबीन, सुरजमुखी के बीज, सीसम, कुसुम्भी और खुरसाणी, खोपरा, कच्चा कपास, कच्चा जूट, गन्ना,  वर्जीनिया फ्लू उपचारित (BFC) तम्बाकू , नारियल शामिल है.

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