दरोगा ने थाने में रचाई गर्लफ्रेंड संग शादी, दरोगा बनने के बाद शादी से किया था इंकार…
बिहार के भागलपुर जिले में एक अनूठी शादी का मामला सामने आया है. यहां मोहब्बत के आगे बिहार के एक दरोगा को झूकना पड़ा. मोहब्बत की जंग में आखिरकार दारोगा बाबू को दूल्हा बनना ही पड़ा. बाराती भी पुलिस वाले ही बने. घंटों थाने में हाईवोल्टेज ड्रामा चला. तमाशा चलता रहा, लेकिन प्रेम में हद पार करने की कसम भी प्रेमिका वंदना ने खा रखी थी और आखिरकार थाने में ही दोनों की शादी हुई. संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को साक्षी मानकर दारोगा बाबू ने अपनी प्रेमिका से शादी रचाई. दारोगा को अपनी प्रेमिका की मंजिल तक पहुंचने की जिद के आगे झुकना पड़ा. दारोगा बाबू मनोज ने जीवन भर के लिए अपनी प्रेमिका वंदना को जीवन संगीनी बना लिया।
दूल्हे ने नौकरी लगने पर किया था इंकार….
दरअसल मुजफ्फरपुर पुलिस में तैनात दरोगा मनोज कुमार उर्फ गौरव कुमार भागलपुर के एकचारी टपुआ थाना इलाका निवासी हैं. उनका अपने गांव के ही रूदल पासवान की बेटी वंदना कुमारी से करीब 4 साल से लव अफेयर चल रहा था, लेकिन दोनों की जातियां अलग-अलग होने से उनके परिजन इस अफेयर से खफा थे. सब इंस्पेक्टर बनने के बाद घरवालों के दबाव में मनोज ने शादी से इंकार कर दिया था.
वंदना ने प्यार को पाने के लिए की हदे पार…
वंदना ने मनोज के प्यार में धोखा देने पर भी हार नहीं मानी. वंदना अपने प्यार को पाने के लिए हर जगह मिन्नते करने लगी. यहां तक कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटे और गुहार लगाई. यह प्यार प्रशासनिक अधिकारियों के बीच भी चर्चा का सबब बन गया. अधिकारियों के समझाने के बाद आखिर मनोज शादी के लिए राजी हो गया. शादी की रस्में भागलपुर के SC-ST थाने महिला थाने में पूरी की गईं. महिला पुलिसकर्मियों ने 20 साल की वंदना को दुल्हन की तरह सजाया, जबकि पुरुष पुलिसकर्मियों ने मनोज को दूल्हे का सेहरा पहनाया
अंबेडकर की तस्वीर को साक्षी मानकर की शादी…
इसके बाद दोनों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को साक्षी मानकर जीवनभर साथ रहने की कसम खाई. फिर मनोज ने वंदना की मांग सिंदूर से भरी और शादी के बंधन में दोनों बंध गए. इसके बाद पुलिसकर्मियों ने इस शादी की खुशी में मिठाई बांटी।
एक साथ जीने मरने की खाई कसमें…
वहीं, महिला थाना में दोनों प्रेमी-प्रेमिका ने एक साथ जीने मरने की कसमें खाई और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर शादी की. एक तरफ जहां थाने की महिला पुलिस ने ही प्रेमिका को दुल्हन की तरह सजाया. और दूसरी तरफ एससी-एसटी थाने की पुलिस ने प्रेमी को दूल्हे की तरह सहरा पहनाया. जितने भी जवान वहां पर मौजूद थे. सभी ने वर वधू को आशीर्वाद दिया. बता दें कि अब यह शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।
थाने के अधिकारी ने क्या कहा…
एससी एसटी थाने के अधिकारी महेश राम ने बताया कि भागलपुर के महिला थाने में दोनों पक्षों की रजामंदी से शादी हुई. इस दौरान मिठाइयां बांटी गईं. पहली बार अंबेडकर की विचारधारा के तहत महिला थाने में इस तरह की शादी हुई है. यह ऐसी पहली शादी है. दुल्हन वंदना ने कहा कि हम दोनों ने राजी खुशी से महिला थाने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर शादी की है. अब मैं काफी खुश हूं.
अंबेडकर के विचारों से मिली प्रेरणा…
तो वहीं दूल्हा मनोज ने कहा कि मैंने जब भी अंबेडकर के विचारों को पढ़ा समझा और जाना. तो मुझे उनसे काफी प्रेरणा मिली. तभी से मैंने सोचा था कि जब भी मैं शादी करूंगा. तो बिना दान दहेज के शादी करूंगा. अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊंगा, तभी शादी करूंगा. आज हम दोनों ने एक दूसरे से बाबा साहब अंबेडकर को साक्षी मानकर शादी कर ली है. मनोज ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैंने भागलपुर में महिला थाने में शादी की. इसकी नौबत इसलिए आई कि अभी भी समाज में अंतरजातीय विवाह को लोग गलत समझते हैं।
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