महाकुंभ के दौरान बदलेगा बाबा काशी विश्वनाथ के आरती का समय, महाशिवरात्रि पर 42 घंटे दर्शन

दिन में होती हैं पांच आरती

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वाराणसी।महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को बाबा विश्वनाथ के कपाट रातभर खुले रहेंगे और वह 42 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे. इस दिन मंगला आरती सुबह 2:15 बजे से शुरू होगी. हालांकि, सप्तऋषि आरती, श्रृंगार भोग आरती और शयन आरती इस दिन नहीं होंगी.

प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं का पलट प्रवाह काशी की तरफ़ होता है. इस अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिदिन 20 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.
इसी को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाबा विश्वनाथ की दैनिक आरतियों के समय में बदलाव किया है. ये परिवर्तन सुबह, दोपहर, शाम और रात की सभी आरतियों पर लागू होंगे.

महाशिवरात्रि पर विशेष व्यवस्था

26 फरवरी की भोर में 2:15 बजे मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट खुल जाएंगे और अगले दिन 27 फरवरी की रात 10:30 बजे शयन आरती तक कपाट खुले रहेंगे. इस दौरान बाबा विश्वनाथ आराम नहीं करेंगे.

महाकुंभ के दौरान आरतियों का नया समय

मंगला आरती: सुबह 2:45 से 3:45 बजे (महाशिवरात्रि को 2:15 से 3:15 बजे)
मध्याह्न भोग आरती: सुबह 11:35 से दोपहर 12:15 बजे
सप्तऋषि आरती: शाम 7:00 से 8:00 बजे (पौष पूर्णिमा पर 6:15 से 7:15 बजे, महाशिवरात्रि पर नहीं होगी)
श्रृंगार भोग आरती: रात 8:00 से 9:00 बजे (महाशिवरात्रि पर नहीं होगी)
शयन आरती: रात 10:30 से 11:00 बजे (सोमवार को 10:45 से 11:15 बजे)

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VIP प्रोटोकॉल पर रोक

महाकुंभ के दौरान सोमवार, पूर्णिमा और महाशिवरात्रि जैसे विशेष दिनों पर VIP प्रोटोकॉल लागू नहीं होगा. इसके अलावा, श्रद्धालु सिर्फ झांकी दर्शन कर सकेंगे क्योंकि बाबा के स्पर्श दर्शन पर रोक लगाई गई है.

दिन में होती हैं पांच आरती

मंदिर में प्रतिदिन बाबा विश्वनाथ की पांच आरती संपन्न होती हैं. सुबह की मंगला आरती के साथ भगवान को जगाया जाता है और मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं. दोपहर में भोग आरती होती है, जिसमें भगवान को भोग अर्पित किया जाता है. शाम को सप्तऋषि आरती के माध्यम से बाबा की पूजा की जाती है. इसके बाद श्रृंगार आरती के दौरान गंगाजल, दूध, दही और अन्य सामग्री से बाबा का स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया जाता है. अंत में रात की शयन आरती के साथ भगवान को विश्राम के लिए सुलाया जाता है.

 

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