चोटी काटने के मामले थमने का नाम ही नहीं ले रहे। कुछ लोग इसे महज मानसिक रोग मान रहे तो स्थानीय लोग भूत परेत मान का साया। घटना से बचने के लिए अपने घर के बाहर नीबू, नीम और छाप जैसे टोटके से काम चला रहे है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर यह मामला के पीछे महज किसी शरारती तत्व है या कोई अनजान शक्ति है। देश के पांच राज्यो में बीते चाक दिनो से लगातार ये मामले देखने को मिल रहे है। दूसरी तरफ प्रशासन ने भी एतियात बरतने को कहा है।
जनता से संवाद स्थापित कर उन्हें स्थितियों अवगत कराएं
उत्तर प्रदेश में चोटी कटने की अफवाह की घटनाओं के संबंध में सूबे के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने एक परामर्श (एडवाइजरी) जारी की है।
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डीजीपी के निर्देश पर अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक प्रभारी जनपदों को निर्देश दिए हैं कि वह जारी एडवाइजरी के तहत जनता से संवाद स्थापित कर उन्हें स्थितियों अवगत कराएं।
कहीं कृत्य में कोई संगठित गैंग संलिप्त नहीं है…
जारी एडवाइजरी में कहा गया है, “जनता से संवाद में उन्हें यह बताया जाए कि यह एक अफवाह है, इस पर कतई ध्यान न दें। इस प्रकार की अफवाह फैलाने वालों के बारे में तत्काल पुलिस को सूचना दें एवं कानून को अपने हाथ में न लें। जनता से यह बताया जाए कि इस कृत्य में कोई संगठित गैंग संलिप्त नहीं है।”
शरारती तत्वों के विरुद्ध उचित वैधानिक कार्रवाई
एडवाइजरी में कहा गया है, “ग्रामीण/शांति सुरक्षा समितियों/विशेष पुलिस अधिकारी के माध्यम से इस अफवाह का खंडन किया जाए। जनपदीय पुलिस ऐसे शरारती तत्वों के विरुद्ध उचित वैधानिक कार्रवाई करें। जनपदीय पुलिस सोशल मीडिया (ट्विटर/फेसबुक/वाट्सएप) के माध्यम से लोगों को जागरूक करें एवं इस प्रकार की भ्रामक खबर का खंडन करें।”
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