रोजाना 6 हजार खर्च कर 250 गरीबों का पेट भरते हैं ‘दादा’

​तमिलनाडु के 63 साल के बालाचंद्र जरूरतमंदों का पेट भरने का काम करने में लगे हैं।

0

भारत चांद और मंगलयान तक पहुंच गया है, मंगल ग्रह पर मंगलयान तक भेजा है लेकिन आज भी लाखों लोग ऐसे है जो दो वक्त की रोटी तक के लिए तरस रहे हैं। तमिलनाडु में ऐसे ही लोगों के लिए एक शख्स आशा की रोशनी बने हैं।

दरअसल ​तमिलनाडु के 63 साल के बालाचंद्र जरूरतमंदों का पेट भरने का काम करने में लगे हैं। लोग उन्हें प्यार से दादा कहकर पुकारते हैं। तूतूकुडी जिले के बालाचंद्र पिछले डेढ़ साल से रोजाना करीब 250 आदिवासियों को खाना खिलाने का नेक काम कर रहे हैं।

[bs-quote quote=”मैंने जिंदगी के 60 साल परिवार और काम को दिए। खूब पैसे कमाया। हालांकि मैं शुरू से ही जरूरतमंदों की मदद करना चाहता था। अब मैंने करोबार छोड़ दिया है। परिवार की जिम्मेदारियों से भी मुक्त हूं। अब मैं खुद से किए गए वादों को पूरा करा रहा हूं।

” style=”style-13″ align=”center” author_name=”बालाचंद्र”][/bs-quote]

बालाचंद्र सभी परिवारों को महीने के तीसरे रविवार को पालमलाई में 5-5 किलो चावल और 1-1 किलो दाल देते हैं। बताया गया कि बालाचंद्र बुजुर्गों और बीमारों की ज्यादा मदद करते हैं। बालाचंद्र रोज करीब 6 हजार रुपये रोज खर्च करते हैं।

आखिरी सांस तक चलेगी समाजसेवा-

रिपोर्ट के मुताबिक, बालचंद्र ने 60 वर्ष की उम्र तक बिज़नेस किया। इसके बाद उन्होंने लोगों की मदद करने का फैसला किया। खाना देने का समय रोज़ दिन में 11 से 12 बजे के बीच होता है।

बालाचंद्र के परिवार में पत्नी, बेटा और दो बेटियां हैं। बेटा कोयम्बत्तूर के निजी मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में एमडी है। बेटियां अपने-अपने घर विदेशों में बस गई है।

यह भी पढ़ें: स्कूल में हुए थे दो बार फेल, जानें कैसे खड़ी कर दी करोड़ों कंपनी

यह भी पढ़ें: एक ऐसा रोस्टेरेंट जहां ‘भूत’ परोसते हैं खाना

 

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More