तबलीगी कांड : मुकदमा करने के बजाये ‘ड्रोन-ड्रोन’ खेल रही पुलिस, सरकार भी शांत

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नई दिल्ली: बेहद संकरे और भीड़भाड़ वाली निजामुद्दीन बस्ती के बीचो-बीच मौजूद मरकज तबलीगी जमात को लेकर अब मच रहा हो-हल्ला बकवास है। जब जरुरी एहतियाती कदम उठाने की जरुरत थी, तब हुक्मरानों ने (दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार) ने तबलीगी जमात मुख्यालय की ओर से आंखें मूंद रखी थीं। एक न्यूज एजेंसी ने सोमवार को जब मामले का भांडा फोड़ किया, तो अब दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार आपस में मिल जुलकर ‘ड्रोन-ड्रोन’, ‘एफआईआर-एफआईआर’ खेल रही है। अगर यह कहें कि, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार में जिम्मेदारी का ठीकरा एक दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ने को लेकर सिर-फुटव्वल मची है, तो गलत नहीं होगा।

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न्यूज एजेंसी द्वारा सोमवार को मरकज तबलीगी जमात मुख्यालय में फंसे करीब 1600 लोगों के बाबत खबर प्रकाशित की गयी थी। खबर में बताया गया था कि, करीब 250 विदेशी भी तबलीगी जमात मुख्यालय में फंसे हुए हैं. सोमवार को एक न्यूज एजेंसी द्वारा किये गये इन्हीं तमाम सनसनीखेज खुलासों पर तबलीगी मुख्यालय के प्रवक्ता डॉ. मो. शुएब अली ने भी बातचीत के दौरान मुहर लगाई थी.

हांलांकि अगर सूत्रों की माने जाये तो, इससे पहले (शनिवार-रविवार-सोमवार की रात) ही दिल्ली सरकार और पुलिस मिल-जुलकर 200 से ज्यादा संदिग्धों को तबलीगी हेडक्वार्टर से निकाल राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में दाखिल कर चुकी थी। एक न्यूज एजेंसी द्वारा मामले को उजागर किये जाने के बाद सोमवार देर शाम दिल्ली सरकार ने तबलीगी मुख्यालय मामले में दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का ऐलान कर दिया।

सोमवार शाम से मंगलवार दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे न्यूज एजेंसी ने दिल्ली पुलिस प्रवक्ताताओं से लेकर दिल्ली पुलिस के तमाम संबंधित आला अफसरों से संपर्क साधने की कोशिश की. ताकि यह पता चल सके कि आखिर दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस से एफआईआर दर्ज करने को कहा भी है या नहीं। अगर दिल्ली सरकार ने एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया है तो फिर क्या पुलिस ने निजामुद्दीन थाने में इस बारे में कोई एफआईआर दर्ज की या नहीं।

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सोमवार शाम से लेकर मंगलवार दोपहर बाद तक न्यूज एजेंसी लगातार दक्षिणी रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त देवेश चंद्र श्रीवास्तव से इस बाबत जानने की कोशिश करता रहा। इसके बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। न्यूज एजेंसी ने एफआईआर दर्ज किये जाने या न दर्ज किये जाने के कारणों के बाबत पूछने के लिए दक्षिणी पूर्वी जिला डीसीपी आर.पी. मीणा से भी करीब 20-22 घंटे तक संपर्क करने की कोशिश की. डीसीपी ने भी कोई उत्तर नहीं दिया।

इसी बीच न्यूज एजेंसी को पता चला कि, लापरवाही के आरोपों से घिरी दक्षिणी पूर्वी जिला पुलिस ने अपनी गर्दन बचाने के फेर में, तबलीगी मुख्यालय के ऊपर ‘ड्रोन’ उड़वाना शुरू कर दिया, ताकि आम आदमी यह समझे कि दिल्ली पुलिस कोरोना को लेकर वास्तव में संवेदनशील है। वो दिन रात निगरानी कर रही है। ड्रोन-ड्रोन के खेल में दिल्ली पुलिस ने कई हवलदार सिपाहियों को निजामुद्दीन बस्ती की गलियों में तबलीगी मुख्यालय के आसपास व्यस्त कर दिया है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर जब तबलीगी मुख्यालय में हजारों की भीड़ के नाम पर लोग सैकड़ों की तादाद में भी नहीं बचे तो फिर अब दिल्ली पुलिस आसमान में ‘ड्रोन’ उड़ाकर क्या कर रही है? जबकि दिल्ली सरकार ने उसे एफआईआर दर्ज करने को कहा है ?

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