एसएचओ की नसीहत की अनुसनी बनी कोरोना में तबाही की वजह

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नई दिल्ली: तबलीगी कांड में मंगलवार रात एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में इंस्पेक्टर एसएचओ निजामुद्दीन मुकेश वालिया मरकज तबलीगी जमात के प्रबंधन के साथ बैठे हुए हैं। एसएचओ चेतावनी के साथ साथ समझा रहे हैं कि, मरकज में भीड़ न लगायें। जो लोग हैं उन्हें तुरंत यहां से आउट कर दें। अगर आप लोग नहीं मानेंगे और हमारी बात नहीं सुनेंगे तो ठीक नहीं होगा।

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एसएचओ की यह तमाम चेतावनियां भी मरकज प्रबंधकों ने नजरंदाज कर दीं। जिसके चलते जमात में 24 मार्च को भी हजारों की तादाद में भीड़ मौजूद रही। इसके बाद भी यहां लोगों का हुजूम बरकरार रहा। वीडियो में एसएचओ साफ साफ कहते सुनाई दिखाई दे रहे हैं, कि मरकज में पांच से ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं होंगे। ऐसा नहीं है कि वीडियो एसएचओ ने चोरी-छिपे बनाया हो। वीडियो में इंस्पेक्टर मुकेश वालिया, बार-बार और खुलेआम कह रहे हैं, कि वीडियो बना रहा हूं अपनी आपकी बातचीत का। सीसीटीवी में भी सब रिकार्ड हो रहा है। आप लोग बार बार कहने के बाद भी बात नहीं मान रहे हैं।

वीडियो में आगे इंस्पेक्टर कहते हैं, “मैं आपको कई बार आगाह कर चुका हूं। इसके बाद भी डेढ़ से दो हजार भीड़ हमेशा मरकज में रही है। आखिर क्यों? सब धार्मिक स्थल बंद हैं। मेरे इंट्रेस्ट के लिए इसमें कुछ नहीं है। आप लोग जितना डिस्टेंस मेंटेन करेंगे उतना ही जी जायेंगे।”

इस सबका जब मरकज के कारिंदों पर कोई असर नहीं होता है, तो एसएचओ झुंझला उठते हैं। वे साफ साफ कहते हैं कि पहले मेरी बात सुनो। बीच में मत बोलो। अगर तुम लोगों ने मेरी बात सुनी होती तो फिर रोज डेढ़ दो हजार की भीड़ मरकज में न होती। मैंने तुम्हें बार बार आगाह किया। वानिर्ंग दी। इस पर प्रबंधन के सदस्य कहते हैं कि भीड़ तो पहले की है। इस पर एसएचओ एक बार फिर मरकज प्रबंधन को आड़े हाथ ले लेते हैं।

वीडियो में एक जगह एसएचओ मरकज प्रबंधन को नोटिस देते दिखाई देते हैं। फिर वे कहते हैं कि अगर अब इस नोटिस का पालन नहीं किया गया तो मैं बहुत स्ट्रिक्टली एक्शन लूंगा। मैं मजबूर होऊंगा। इस पर सामने बैठे मरकज के लोग बताते हैं कि ढाई हजार में से एक हजार लोगों को भेज चुके हैं। एक डेढ़ हजार बचे हैं। उन्हें भी लगातार निकाल रहे हैं हम लोग। यह बचे हुए एक हजार लोग कहां कहां के हैं? एसएचओ के पूछने पर बताया जाता है कि, सब के सब देश के ही हैं। कोई लखनऊ का है। कोई बनारस का है। कोई बिजनौर का है। इस पर एसएचओ कहते हैं कि आप चाहें तो एसडीएम साहब से बात कर लो। और मुझसे बेवजह की बातें मत करो।

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इसी बीच मरकज प्रबंधन एसडीएम का नंबर मांगता है। इस पर एसएचओ कहते हैं कि, आपको मैं एसडीएम का नंबर भी दे दूंगा। आप लोग मगर इस तरह की बातें न करें। आप इतना बड़ा मरकज चला रहे है। आपके पास इंटरनेशनल टूरिस्ट आते हैं। और आपके पास एसडीएम का नंबर नहीं है। इसके बाद एसएचओ खुद ही कहते हैं कि आप लोग तुरंत एसडीएम साहब से संपर्क करें। आप तुरंत एसडीएम से संपर्क करें। जो इंतजाम करना हो। बसें चाहिए होंगी। सब गवर्मेंट करेगी। मैं तीन चार दिन से कह रहा हूं। आप तीन चार दिन से सुन रहे होते तो यह नहीं होता।

इस पूरे वीडियो को लेकर मंगलवार रात एसएचओ निजामुद्दीन इंस्पेक्टर मुकेश वालिया से बात की। उन्होंने कहा, “वीडियो 23-24 मार्च दिन के वक्त का है। संभव है कि, वीडियो 24 मार्च दिन के वक्त का हो। वीडियो में मैं ही मरकज के प्रबंधन को समझा रहा हूं।” उन्होंने कहा, “मैं इन लोगों को हालातों के बारे में बताकर समझा रहा था कि, वे तुरंत भीड़ को खत्म करें। मैंने उन्हें नोटिस भी लिखित में दिया। साथ ही उनसे कहा कि अगर वे लोग इलाका के एसडीएम से मिलना चाहते हैं तो तुरंत जाकर मिल लें। सरकार भीड़ को हटाने के लिए तुरंत बसों का इंतजाम करेगी।”

इस वीडियो को लेकर मंगलवार को दिन भर यह सवाल भी शहर में उठते रहे कि अगर अब तक पुलिस के हिसाब से सब कुछ सही था तो फिर यह वीडियो दिल्ली पुलिस अपराध शाखा द्वारा एफआईआर दर्ज होते ही क्यों और कैसे बाहर आ गया? वो कौन सी वजह रही कि एसएचओ के धमकाने के बाद भी मरकज प्रबंधन के ऊपर जूं तक नहीं रेंगी।

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