15 की उम्र में PHD, मजदूर पिता का नाम किया रोशन
एक कहावत है ‘पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते हैं’ यह मुहावरा सबसे कम उम्र में पीएचडी करने वाली छात्रा सुषमा वर्मा पर बिलकुल फिट बैठता है। सफाई कर्मचारी की इस बेटी ने महज सात साल की उम्र में हाईस्कूल, नौ साल की उम्र में इंटर, 13 की उम्र में बीएससी और 15 साल की उम्र में एमएससी पास किया। अब महज 15 साल की उम्र में ही बाबा साहेब अंबेडकर यूनिवर्सिटी (बीबीएयू) से माइक्रोबायोलॉजी में पीएचडी कर रही हैं। ऐसा करने के बाद सुषमा देश की सबसे छोटी पीएचडी की छात्रा बन गई हैं और इस तरह से यह खिताब अपने नाम कर लिया है।
सात साल के उम्र में दसवीं पास
सुषमा वर्मा का दिमाग पढ़ाई में बचपन से ही लगता है, यही वजह है कि बिना स्कूल गए ही सुषमा को पांच साल की उम्र में ही कक्षा नौ के पाठ्यक्रम पर अच्छी पकड़ हो गई थी। 2005 में सुषमा को सीधे कक्षा नौ में दाखिला कराने के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद से अनुमति लेनी पड़ी थी।
महज सात साल की छोटी सी उम्र में जब अधिकतर बच्चे पहाड़े याद करते रहते हैं, तब सुषमा ने 59.6% अंक के साथ हाई स्कूल उत्तीर्ण कर लिया था। 13 साल की उम्र में सुषमा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से सूक्ष्म जीव विज्ञान में अपनी मास्टर डिग्री पूरी कर ली थी। अचरज होता है उनकी इस प्रतिभा को देखकर, लेकिन गर्व भी होता है कि वो अब दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
कौन हैं सुषमा
सुषमा वर्मा लखनऊ में स्थित कृष्णा नगर थानाक्षेत्र के बरिगवां मोहल्ले की रहने वाली हैं। तीन भाई-बहनों में सुषमा दूसरे नंबर की हैं। सुषमा ने 20 नवंबर 2002 को महज दो वर्ष, नौ महीने की उम्र में ही श्रीरामचरितमानस का पाठ कर सबको चौंका दिया था। लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम ‘जागृति’ में श्रीरामचरितमानस का पाठ किया था।
मजदूर हैं पिता
सुषमा के पिता तेज बहादुर एक मजदूर हैं, लेकिन बेटी की प्रतिभा के कारण यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर डॉ. आर. सी. सोबती ने उन्हें यूनिवर्सिटी के सैनिटेशन विभाग में सुपरवाईजर नियुक्त किया।
पिता तेज बहादुर ने बताया कि यह लोगों के आशीर्वाद का ही नतीजा है। उनका कहना है कि बेटी की जिज्ञासा उसे जहां ले जाएगी, यह निर्णय उसे ही करना है।
रिकॉर्ड में दर्ज सुषमा का नाम
साधनों के अभावों के बावजूद, 2007 में सुषमा ने दसवीं पास की और इसकी वजह से सुषमा का नाम ‘लिम्का बुक्स ऑफ रिकार्ड्स’ में शामिल हो गया। जापान में हुए आईक्यू टेस्ट के लिए 35 सदस्यों वाली टीम में सुषमा को शामिल किया जा चुका है। सुषमा डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन अंडर ऐज होने की वजह से कम्बाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (यूपीपीएमटी) पास करने के बावजूद उसका यह सपना एक सपना ही रह गया। सुषमा को अभी 18 साल तक इंतजार करना होगा।
PM मोदी भी कर चुके हैं सम्मानित
इसी साल जनवरी माह में पीएम मोदी बीबीएयू के दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने तीन छात्राओं को मेडल बांटे।
इनमें सबसे कम उम्र की छात्रा सुषमा वर्मा (15) भी शामिल थीं।
कई लोगों ने की मदद
सुषमा की प्रतिभा से प्रभावित होकर उनकी मदद के लिए कई हस्ती आगे आए। जिसमें सबसे बड़ी सहायता प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और ‘सुलभ इंटरनेशनल फाउंडेशन’ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने की। उन्होंने सुषमा को मोबाइल फोन, लैपटॉप देने के अलावा उसकी पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद भी की। इनके अलावा प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर भी आर्थिक मदद करने को सामने आ चुके हैं।
भाई भी कर चुका है कमाल
सुषमा ही नहीं उनके बड़े भाई शैलेंद्र वर्मा भी साढ़े नौ साल की उम्र में ही हाईस्कूल पास कर लिया था। इसके अलावा शैलेंद्र ने 14 साल की उम्र में देश का सबसे छोटा कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट बन चुका है।
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