महिलाओं को मंदिर जाने से नहीं रोक सकते : सुप्रीम कोर्ट

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केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक के खिलाफ़ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। न्‍यायालय की संविधान पीठ महिलाएं पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं है। सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं को प्रवेश मिलेगा।

सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान ने यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्‍यीय पीठ ने 4:1 से यह फैसला सुनाया है।

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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भगवान अयप्‍पा हिंदू थे, उनके भक्‍तों का अलग धर्म न बनाएं। एक तरफ हम औरत की देवी की तरह पूजा करते है। भगवान से रिश्‍ते दैहिक नियमों से नहीं तय हो सकते। सभी भक्‍तों को मंदिर में जाने और पूजा करने का अधिकार है।

इससे पहले पिछली सुनवाई में नायर सर्विस सोसाइटी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील के. पराशरण ने हिंदू धर्म की व्याख्या करते हुए कहा था कि ब्रह्मा विधायिका, विष्णु कार्यपालिका, शिव न्यायपालिका और अर्धनारीश्वर हैं, तभी उनका यह स्वरूप अनुच्छेद 14 जैसा है, यानी सबको बराबर का अधिकार।

पाराशरण ने कहा था कि केरल में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी शिक्षित है। महिलाएं भी पढ़ी-लिखी हैं और केरल का समाज मातृ प्रधान है। हिंदू धर्म को सबसे ज्यादा सहिष्णु बताते हुए उन्होंने कहा था कि हिंदू नियम, कायदे और परंपराएं भेदभाव नहीं करतीं। सती प्रथा का हिंदू धर्म और आस्था में कोई आधार नहीं रहा है। साभार

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