सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को तार्किक नहीं माना

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अयोध्या के 2.77 एकड़ जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सर्वसम्मति से आया है।

पांच जजों की संविधान पीठ ने 5-0 से यह फैसला दिया।

इसके तहत टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को तार्किक नहीं माना, जिसमें तीन पक्षों को जमीन बांटी गई थी।

ऐतिहासिक फैसला सुना दिया

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है।

कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का हक माना है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है।

जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है।

यानी कोर्ट ने अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है।

राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है.।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है।

70 साल तक चली कानूनी लड़ाई

70 साल तक चली कानूनी लड़ाई, 40 दिन तक लगातार मैराथन सुनवाई के बाद आज अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है।

राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना।

टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया।

रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया

आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया।

कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए।

इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने को कहा है।

खचाखच भरे कोर्ट रूम नंबर 1 में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने करीब 45 मिनट में एक-एक कर पूरा फैसले के मुख्य बिंदुओं को पढ़ा।

विवादित जमीन रामलला की, सुन्नी पक्ष को कहीं और

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसले में कहा कि टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता है।

1856-57 तक विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने के सबूत नहीं हैं।

उधर हिंदू इससे पहले अंदरूनी हिस्से में भी पूजा करते थे।

हिंदू बाहर सदियों से पूजा करते रहे हैं।

सुन्नी वक्फ बोर्ड को कहीं और 5 एकड़ की जमीन दी जाए।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर स्कीम बताए।

इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आखिर में 2.77 एकड़ जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दे दिया।

कोर्ट ने आगे कहा कि हर मजहब के लोगों को संविधान में बराबर का सम्मान दिया गया है।

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