कभी चलते थे 8 किलोमीटर पैदल, आज हैं दुनिया के इस महंगी कार कंपनी के डायरेक्टर

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जिंदगी में हर किसी की चाहत होती है कि वो दुनिया में कुछ ऐसा कर जाए कि वो लोगों के लिए मिसाल बन जाए। कहते हैं सफलता किसी को मांगने से नहीं मिलती है। कुछ लोगों का मानना ये भी है कि अगर किस्मत साथ दे तो इंसान कुछ भी कर सकता है। लेकिन हकीकत कुछ और ही होती है। कहते हैं कि किस्मत वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है जितना मेहनत करने वालों से बच जाता है। कुछ इसी तरह से इस कहावत को साकार करने वाले पवन की कहानी भी ऐसा ही बयां कर रही है। पवन की जिंदगीं भी कुछ अच्छी नहीं थी और किसी तरह से पेट पालने के लिए सेल्समैन की एक छोटी सी जॉब करने लगे।

पवन की मेहनत और ईमानदारी का ऐसा चक्र चला कि सब देखते ही रह गए। जिस कंपनी में पवन ने एक सेल्समैन की नौकरी से शुरुआत की थी। हम बात कर रहे हैं पवन शेट्टी की जो पॉर्श इंडिया के निदेशक हैं। पवन बेहद शर्मिले स्वभाव के व्यक्त‍ि हैं और करियर शुरू करने से पहले उन्हें किसी से बात करने में झिझक महसूस होती थी।

कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने के बाद पवन ने फाइनेंसियल एक्सप्रेस में सेल्स मैन की नौकरी की। और इस नौकरी ने उनकी झिझक को भी खत्म कर दिया। करियर की शुरुआत में उनके पास पैसे नहीं हुआ करते थे, इसलिए पवन 8 किलोमी‍टर की दूरी पैदल ही तय कर लेते थे। पवन को यह मुकाम पाने में 17 साल लग गए। इस बीच उन्होंने एमबीए किया और टाटा, लम्बोर्गिनी आदि जैसी कंपनियों के साथ काम किया।

पवन कहते हैं कि गुजरात में काम करते हुए एक कंसलटेंट ने जॉब के बारे में बताया। जहां 10-15 कारें बेचनी थी। मैं जब मीटिंग में पहुंचा तब मुझे पता चला कि ये लम्बोर्गिनी कंपनी है। दरअसल कंपनी इंडिया में ऑपरेशन की शुरुआत कर रही थी। पवन कहते हैं मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे बिना पैसे लगाए खुद का बिजनेस तैयार कर रहा हूं।

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पिछले साल जनवरी में ही पवन ने पोर्श इंडिया के डायरक्टर का पद संभाला था। अपने स्ट्रगल के बारे में बारे में पवन कहते हैं कि मैंने सेल्समैन का काम लगभग 6 महीने तक किया। यही वह जॉब थी, जिसने मुझे बोलना सिखा दिया। इस काम में 8-8 किमी तक भी चलना पड़ता था। सालों तक लम्बोर्गिनी के ऑपरेशन देखने के बाद मैं किसी बड़ी कंपनी में स्विच करना चाहता था। इसके बाद उन्हें पोर्श इंडिया का डायरेक्टर बनाया गया। पवन के मुताबिक यहां, मैं खुद को स्थापित नहीं कर रहा बल्कि एक ऊपर लेवल तक लेकर जा रहा हूं।

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