कल्पना चावला की ‘कल्पनाओं’ के आगे हारीं सभी मुश्किलें

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यूं तो हर किसी की कोई न कोई ख्वाहिशें जरुर होती हैं चाहे वो अपने करियर से जुड़ी हो या किसी देश या काम को करने की इच्छा हो। कुछ ऐसा ही था भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का। जिनका सपना था सिर्फ अतंरिक्ष की दुनिया को करीब से देखने और जानने की। कल्पना चावला ने इस सपने को पूरा करने के लिए 41 साल तक इंतजार किया और जब वो समय आया तो बहुत ही भयावाह मंजर बन गया।

कल्पना चावला ने अतंरिक्ष की उड़ान तो भर ली और अंतरिक्ष की दुनिया को नजदीक से देखने में कामयाब तो हो गईं लेकिन ये उनकी बदकिस्मती थी या उपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। कल्पना चावला जब वापस अंतरिक्ष यान से आ रही थी तो अपने 6 साथियों के साथ एक दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। बता दें कि कल्पना ने 41 साल की उम्र में अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की जो आखिरी साबित हुई।

उनके जज्बे को सलाम उन्होंने न केवल अन्तरिक्ष में उपलब्धि हासिल की बल्कि हजारों छात्र-छात्राओं के सपने को पंख दिए। उन्होंने कहा था कि मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं। हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए मरूंगी।कल्पना चावला 17 मार्च 1962 को करनाल में बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर में जन्मीं थीं।

वो चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई। जब वो आठवीं क्लास में थी तब उन्होंने अपने पिता से कहा कि उन्हें इंजिनियर बनाना है। लेकिन उनके पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे। वो हमेशा से अपने पिता से पूछा करती थी कि अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? साथ ही कल्पना की दिलचस्पी अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में थी।

पिता बनारसी लाल बताते हैं कि कल्पना में कभी आलस नहीं था और वह जुझारू थी। जो ठान लिया उसे बस करके छोड़ती थी। कल्पना ने पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज 1982 में ग्रैजुएशन पूरा किया। इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और 1984 टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की। 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया।

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अंतरिक्ष में उड़ने वाली वह पहली भारतीय महिला थीं। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान से उड़ान भरी थी। कल्पना ने अपने पहले मिशन में 1.04 करोड़ मील सफर तय कर पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं और 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए। इसके बाद नासा और पूरी दुनिया के लिए दुखद दिन तब आया जब अंतरिक्ष यान में बैठीं कल्पना अपने 6 साथियों के साथ दर्दनाक घटना का शिकार हुईं।

कल्पना की दूसरी यात्रा उनकी आखिरी यात्रा साबित हुई और 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान के अवशेष टेक्सस शहर पर बरसने लगे। देश में कल्पना चावला के नाम पर कई योजनाएं शुरू हुईं।

करनाल में उनके नाम पर सरकारी अस्पताल का नाम कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज रखा और कुरुक्षेत्र में पिहावा राजमार्ग पर कल्पना चावला तारामंडल बनाया गया। हालांकि, अब इस पर भी सियासत शुरू हो गई है जिससे कल्पना के परिजन खुश नहीं है। हरियाणा सरकार ने करनाल में कल्पना चावला के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन मनोहर सरकार ने उसका नाम बदलकर जनसंघ के वरिष्ठ नेता स्व. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कर दिया है।

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