पिता की मौत से बीच में ही छोड़नी पड़ी एनडीए की ट्रेनिंग, बाद में किया कुछ ऐसा बन गया लेफ्टिनेंट

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हिमाचल के एक छोटे से गांव में रहने वाले राजन ने जब सेना की कमान संभाली तो उनके पूरे गांव में खुशी का माहौल छा गया उनके घर में बधाइयां देने वालों का तांता लग गया। आखिर लगे भी क्यों न गांव का बेटा सेना में लेफ्टिनेंट जो हो गया था।

एक सामान्य परिवार से संबंध रखने वाले राजन का कहना है कि उन्होंने सेना में जाने का सपना तब से देख रहे थे जब वो कक्षा दो में पढ़ते थे। उनका कहना है कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय मॉडल स्कूल  सुंदरनगर में हुई थी। जब वो कक्षा दो पढ़ रहे थे तो एक दिन उनके स्कूल में नेवी के एक अफसर आए हुए थे। जिनको देखकर और उनसे प्ररित होकर राजन ने सेना में जाने का दृढ़ निश्चय कर लिया।

और तभी से जी जान लगा कर पढ़ाई में जुट गए। कहते हैं अगर हौंसलों में उड़ान हो तो कोई भी सफलता आपके कदमों में झुकने से बच नहीं पाएगी। और राजन के इसी दृढ़ निश्चय के चलते वर्ष 2011 में उसका एनडीए में चयन हो गया। एनडीए ट्रेनिंग के दौरान वर्ष 2012 में पिता की आकस्मिक मृत्यु हो गई।

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जिस कारण उसे एनडीए की ट्रेनिंग बीच में ही छोडनी पड़ी और वह घर आ गया। इन विपरीत परिस्थितियों में भी उसने हौसला नहीं हारा और इस दौरान अपनी स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। राजन के परिवार में उसकी मां, दादा और एक भाई है। मां गृहिणी हैं और भाई बीबीएमबी में सर्वेयर है।

ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद राजन का चयन वर्ष 2016 में ओटीए में हो गया, जिसके बाद वह लेफ्टिनेंट बना।  लेफ्टिनेंट बनकर घर लौटने पर राजन का परिवार सदस्यों व ग्रामवासियों ने जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर परिवार वालों व ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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