दिवालिएपन से जूझ रही कंपनी को अरबों तक पहुंचाने वाले शख्श हैं फ्रेंड
फ्रेंड स्मिथ एक ऐसा नाम जिसने वो कर दिखाया जो शायद असंभव था। लेकिन फ्रेंड स्मिथ के हौसले और जज्बे ने अपनी सबसे बड़ी कठिनाइयों को हराकर दुनिया में वो मुकाम हासिल किया है जो काबिले तारीफ है। फ्रेंड स्मिथ का बचपन ही नहीं पूरी जिंदगी मुश्किलों से भरी हुई थी।
बैशाखी के सहारे चलते थे फ्रेंड स्मिथ
दरअसल, फ्रेंड की हड्डियां बचपन से ही खराब थी डिसकी वजह से वो चल नहीं सकते थे। लेकिन उन्होंने इन मुश्किलों को अपने सपनों के रास्तों में कभी आने नहीं दिया। फ्रेंड खुद बैशाखियों के सहारे चलते थे, लेकिन उनके सपने हमेशा लंबी-लंबी उड़ान भरते थे। उनके हौसले इतने मजबूत थे कि उनके सामने ये बैशाखियां भी साथ देने को मजबूर थी।
कंपनी की शुरुआत हुई
फ्रेंड एक ऐसी कंपनी बनाना चाहते थे जिससे ओवरनाइट पैकेट की डिलीवरी की जा सके। लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था। क्योंकि फ्रेंड शरीर से इतने समर्थ नहीं थे कि वो इस काम को अंजाम तक पहुंचा सकें। लेकिन उनके हौसले जरुर इतने मजबूत थे कि किसी भी परेशानी का सामना कर सकते थे। आखिरकार फ्रेंड ने काम शुरू कर दिया।
काम शुरू करने के शुरूआती दौर में इनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। फ्रेंड ने इस काम में अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। शुरूआती 5 साल उनकी कंपनी का हिसाब-किताब दीवालिएपन में जा रहा था। फ्रेंड के पास कंपनी के कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसे तक नहीं बचे थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
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कर्मचारियों ने बेंच दिया खुद का सामान
उन्होंने अपने कर्मचारियों से निवेदन किया कि वो कंपनी छोड़कर न जाए और बहुत जल्द अच्छा समय भी आयेगा। फ्रेंड का मानना था कि आने वाले दिनों में उनका व्यापार रफ्तार जरुर पकड़ेगा। क्योंकि आने वाले दिनों में लोगों की जरुरतें बढ़ने की अपार संभावनाएं वो देख रहे थे। फ्रेंड के कमर्चारी उनकी बात से सहमत हो गए और उन लोगों ने भी फ्रेंड पर भरोसा जताया।
कर्मचारियों ने कंपनी की मदद के लिए खुद का सामान भी बेंचना शुरू कर दिया। उसके बाद उन्होंने फेडरल कंपनी की स्थापना की। धीरे-धीरे जो हवाएं अबतक फ्रेंड के विपरीत चल रही थीं वो उनके इसारों पर बहने लगीं। मतलब उनका बिजनेस तेजी से दौड़ने लगा।
अरबों की कंपनी बन गई
कभी सब कुछ दांव पर लगा चुके फ्रेंड आज अरबों के मालिक बन गए। ये सब सिर्फ मुमकिन हुआ फ्रेंड की दिलेरी और जज्बे की वजह से क्योंकि उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार किया और उस लड़ाई को पूरे जोश के साथ लड़ा।
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