घर पर ही पढ़कर पाया ये मुकाम, करने जा रही हैं ये काम
किसी भी काम को करने के लिए या कुछ सीखने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है। और बात जब पढ़ाई की आती है तब तो आप ये मानकर चलिए कि आदमी जिदंगी भर कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। चाहे वो जिंदगी से जुड़ी कोई चीज हो या फिर पढ़ाई-लिखाई से संबंध हो उसका । पढ़ाई के लिए जरूरी नहीं होता कि आप किसी बड़े संस्थान में पढ़ कर ही दुनिया में विद्वानों की श्रेणी में खड़े हो सकते हैं।
आजकल बहुत से ऐसे छात्र हैं जो बिना किसी कोचिंग और ट्यूशन के ही देश की बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने में सफल हो रहे हैं। इसलिए अगर किसी के अंदर कुछ करने और सीखने की ललक हो तो वो कहीं पर भी रहकर वो चीज कर लेगा।
साथ ही अगर कोई सीखना नहीं चाहेगा तो आप की लाख कोशिश के बावजूद भी और अछ्छे संस्थान में पढ़ने के बाद बी वो शख्स जिंदगी में आगे नहीं बढ़ सकता है। कुछ ऐसी ही कहानी है अमिता की जिसने स्कूल कॉलेज तो नहीं गई लेकिन लोगों के लिए एक मिसाल जरूर बन गई हैं। अमिता खुद कभी कॉलेज की दहलीज तक पार नहीं की।
Also read : लालू यादव ‘सुंदर’ है इसलिए मिलता है गिफ्ट : शिवानंद तिवारी
कॉलेज का माहौल कैसा होता है, वे इससे अनभिज्ञ हैं। कड़ी लगन और मेहनत की बदौलत वे अब कॉलेज में स्टूडेंट्स को शिक्षित करेंगी। राजगढ़ उपमंडल के उच्च विद्यालय ठौड़ निवाड़ में टीजीटी पद पर तैनात अमिता मेहता का चयन सहायक प्रोफेसर के पद पर हुआ है। अमिता ने स्वयं कभी कॉलेज में पढ़ाई नहीं की। अमिता का जन्म भनोग गांव में ऊमादत्त शर्मा के घर हुआ।
इनकी प्राथमिक शिक्षा भनोग स्कूल में हुई, जबकि बीए और एमए तक पढ़ाई प्राइवेट ही की। उन्होंने शिवशक्ति बीएड कॉलेज से बीएड की। उसके बाद 2015 में उनका चयन टीजीटी आर्ट्स पद पर हुआ।अमिता का विवाह ठौड़ निवाड़ में विकास मेहता से हुआ।
वे दो बच्चों की मां हैं। अमिता ने अपने बच्चों के पालन-पोषण के साथ-साथ ही पढ़ाई भी की और नौकरी भी की। जेबीटी प्रशिक्षण के दौरान बेटे का जन्म हुआ। उसी दौरान ससुर बीमार हुए और आखिर उनकी मृत्यु हो गई। विपरीत परिस्थितियों के बाद भी अमिता का हौसला कम नहीं हुआ। इसके बूते उसने अपना लक्ष्य हासिल करने में सफलता हासिल की।