कभी घर-घर जाकर करता था सामानों की डिलीवरी, अब मिलती है इतनी सैलरी

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दुनिया में मेहनत करने वाले लोगों की कभी हार नहीं होती है। वो एक दिन अपनी मंजिल पाने में कामयाब हो ही जाते हैं। कभी-कभी मेहनत करने के बाद भी सफलता उनके हाथ नहीं लगती है। लेकिन उसके बाद भी वो मेहनत करना नहीं छोड़ते हैं। और आखिर में सफलता को झुकना ही पड़ता है। कुछ ऐसी ही कहानी है तमिलनाडु के वेल्लौर जिले में जन्म लेने वाले अंबर इयप्पा की। अंबर एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है औऱ पढ़ाई के साथ ही खर्च के लिए नौकरी करने लगे। अंबर ने एक कोरियर कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय का काम करना शुरू कर दिया। चार साल तक डिलिवरी बॉय का काम करने के दौरान वे लॉजिस्टिक के साथ-साथ साउथ बेंगलुरु से आने वाले सारे कोरियरों को मैनेज करने लगे थे। लेकिन उन्हें इस काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी।

इयप्पा को लगता था कि अगर थोड़ी-सी और ट्रेनिंग मिल जाए तो वे इसी फील्ड में और अच्छा कर सकते हैं। आखिरकार उन्होंने फैसला ले ही लिया और काम छोड़कर कोरियर क्षेत्र में और योग्यता हासिल करने के लिए कोर्स करने चले गए। लेकिन कोर्स करने के बाद जब वे लौटकर वापस आये, तो फर्स्ट फ्लाइट ने उन्हें दोबारा नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया। उस वक्त फर्स्ट फ्लाइट ने फ्लिपकार्ट के साथ काम करना शुरू ही किया था। फ्लिपकार्ट का काम देखने वाले एक अकाउंटेंट से इयप्पा को पता चला कि फ्लिपकार्ट को लॉजिस्टिक का काम देखने वाले एक व्यक्ति की जरूरत है।

इस बात का पता चलते ही इयप्पा सीधे फ्लिपकार्ट के ऑफिस जा पहुंचे। उस वक्त फ्लिपकार्ट के फाउंडर सचिन और बिन्नी बंसल कंपनी की शुरुआत कर ही रहे थे और ये वो समय था जब फ्लिपकार्ट पर सिर्फ किताबें मिलती थीं। दिलचस्प बात है, कि उस वक्त इयप्पा फ्लिपकार्ट के पहले एंप्लॉई थे। नौकरी तो उन्हें तुरंत मिल गई, लेकिन ऑफर लेटर एक साल बाद मिला। क्योंकि उस वक्त कंपनी में एचआर टीम ही नहीं थी। इयप्पा को मौका मिला तो उन्होंने इस मौके का फायदा भी उठाया और पूरी लगन, मेहनत के साथ काम किया।

फ्लिपकार्ट के फाउंडर बिन्नी के मुताबिक इयप्पा को अच्छी तरह से पता होता था, कि कौन सी किताब किस कस्टमर के पास पहुंचानी है। वह बिना सिस्टम देखे ही बता देते थे कि ऑर्डर के साथ क्या दिक्कतें हैं। इतना काम करने के बाद भी इयप्पा को उस वक्त सिर्फ 8,000 रुपये मिलते थे। हालांकि स्टार्टअप अभी शुरू ही हुआ था, इसलिए उन्हें भी थोड़े से शेयर मिल गए थे।

जैसे-जैसे कंपनी बढ़ती गई वैसे-वैसे शेयर की वैल्यू भी बढ़ती गई। आज वे फ्लिपकार्ट में एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजिंग कस्टमर एक्सपीरियंस) हैं और उनकी सैलरी 6 लाख महीने है। हालांकि अब भी वे उसी इलाके में रहते हैं जहां वे पहले रहा करते थे। उनकी सादगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास कोई कार नहीं है। इयप्पा के पास एक स्कूटी है।

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