पेट्रोल-डीजल पर कम नहीं होगी एक्साइज ड्यूटी : केंद्र सरकार
केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के बारे में नहीं सोच रही हैं। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के रेट्स अभी उस स्तर पर नहीं पहुंचे हैं कि एक्साइज ड्यूटी कम की जाए। राज्यों की तेल कंपनियों ने भी पिछले एक हफ्ते से पेट्रोल और डीजल की कीमतें रीवाइज नहीं की हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें 55 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। पेट्रोल के दाम 74.63 रुपये प्रति लीटर और डीजल के 65.93 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच चुके हैं।
गर्ग ने कहा कि तेल की कीमतें सरकार का बजट बिगाड़ सकती हैं जिसका असर एलपीजी के रेट्स पर भी पड़ेगा, जिस पर सरकार सब्सिडी देती है। उन्होंने कहा, ‘कुकिंग गैस के अलावा किसी कमोडिटी में सीधे तौर पर सब्सिडी नहीं दी जा रही है। अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक स्तर तक पहुंच जाती हैं तो एक्साइज ड्यूटी के बारे में सोचा जा सकता है। अभी ऐसा नहीं हुआ है।’
गर्ग ने यह नहीं बताया कि वह क्या स्तर होगा जिसपर पहुंचने के बाद एक्साइज ड्यूटी कम की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘अगर दाम नहीं बढ़े तो एक्साइट ड्यूटी कट का कोई सवाल ही नहीं है।’ पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में एक रुपये भी कम करने पर सरकार को 13 हजार करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होगा। बता दें कि तेल के रिटेल दामों में चौथा हिस्सा एक्साइज ड्यूटी का ही होता है।
Also Read : उपचुनाव : कैराना में किसकी होगी घर वापसी और किसका होगा पलायन ?
यह पूछे जाने पर की क्या कर्नाटक चुनाव से पहले एक्साइज ड्यूटी घटाई जा सकती है या ऑइल कंपनियां दामों को रोक सकती हैं, गर्ग ने कहा कि उन्हें इसमें कुछ बात नहीं लगती। केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगाती है। तेल पर राज्य सेल्स टैक्स या वैट अलग-अलग दर से लगाते हैं। दिल्ली में पेट्रोल पर वैट 15.84 रुपये प्रति लीटकर और डीजल पर 9.68 प्रति लीटर है।
गर्ग ने कहा, ‘डिमांड और सप्लाई को देखते हुए मुझे नहीं लगता कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें और बढ़ेंगी।’ तेल के दामों में आई हालिया तेजी स्टॉक गिरने, ट्रेड टेंशन बढ़ने और सीरिया और कोरिया के कारण भू-राजनीतिक कारणों से है।