शास्त्री जी के विचारों को अपने जीवन में उतारें छात्र-छात्राएं-राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू

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वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आना अपने आप में सौभाग्य की बात है. काशी का अभिप्राय है सदैव प्रकाशमान रहने और सदैव प्रकाशित रखने वाला ज्योतिपुंज.

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पिछले महीने काशी में देव दीपावली का पर्व भव्यता से मनाया गया. मुझे बताया गया है कि उस पर्व को 72 देशों के प्रतिनिधियों ने देशवासियों के साथ यहां मनाया. उन्होंने कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आदर्शों को छात्र-छात्राएं अपने जीवन में उतारें.

उन्होंने कहा कि हिन्दी माध्यम में उच्च-स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने काशी विद्यापीठ की अपनी परिकल्पना की चर्चा महात्मा गांधी से की थी और गांधीजी ने उसे सहर्ष अनुमोदन प्रदान किया था. हमारे देश की स्वाधीनता के 26 वर्ष पूर्व गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्म-निर्भरता और स्वराज के लक्ष्यों के साथ इस विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई थी. ब्रिटिश शासन की सहायता और नियंत्रण से दूर रहते हुए भारतीयों द्वारा पूर्णतः भारतीय संसाधनों से निर्मित काशी विद्यापीठ का नामकरण ‘महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ’ करने के पीछे हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करने की भावना निहित है. उन आदर्शों पर चलना और अमृत-काल के दौरान देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना यहां के विद्यार्थियों की विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माता संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

काशी विद्यापीठ का सामाजिक व शैक्षिक योगदान अमूल्य-राज्यपाल आनंदी बेन पटेल

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अपने सम्बोधन में छात्र-छात्राओं, उनके परिजनों को बधाई दी. उन्होंने राष्ट्रपति का आभार व्यक्त करते हुए कहाकि काशी विद्यापीठ का सामाजिक और शैक्षिक योगदान अमूल्य है. उन्होंने छात्र-छात्राओं को कठिन मेहनत से पीछे न हटने और महापुरूषों की प्रेरणा से आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया.

काशी विद्यापीठ का ध्येय वाक्य है विद्ययाऽमृतमश्नुते : राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू


राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का ध्येय वाक्य है विद्ययाऽमृतमश्नुते। यह ध्येय वाक्य ईशा-वास्य उपनिषद से लिया गया है. ईश उपनिषद में यह बोध कराया गया है कि व्यावहारिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान एक दूसरे के संपूरक हैं. व्यावहारिक ज्ञान से अर्थ, धर्म और कामनाओं की सिद्धि होती है. विद्या पर आधारित आध्यात्मिक ज्ञान से अमरता यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि चिर-नवीन की परिधि में विज्ञान तथा व्यावहारिक ज्ञान की आधुनिकतम धाराएं समाहित हैं. सभी विद्यार्थियों को चिर-पुराण और चिर-नवीन के समन्वय को अपनी शिक्षा, आचरण और जीवन में उतारना है. तब आप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, भारतीय परम्पराओं से जुड़े रह कर इक्कीसवीं सदी के आधुनिक विश्व में सफलताएं अर्जित करेंगे. कहा कि छात्र-छात्राओं के शास्त्री जी के विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए. पढ़ने के लिए काशी उपयुक्त स्थान है.

राज्यपाल ने एयरपोर्ट पर की आगवानी

राज्‍यपाल ने राष्‍ट्रपति का स्‍वागत किया
राज्‍यपाल ने राष्‍ट्रपति का स्‍वागत किया

इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंची. एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की. इस दौरान महापौर अशोक तिवारी भी मौजूद रहे. राष्ट्रपति और राज्यपाल का काफिला एयरपोर्ट से सीधा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में दीक्षांत समारोह स्थल पहुंचा जहां राष्ट्रपति का भव्य स्वागत किया गया.
समारोह में छात्र-छात्राओं को मेडल प्रदान करने और सम्बोधन के बाद वह बापू भवन गईं. वहां महात्मा गांधी से सम्बंधित संजोई गई यादों का अवलोकन किया. ऐसा पहली बार हुआ कि जब किसी स्टेट विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद हुईं. राष्ट्रपति ने कलश में पानी डालकर दीक्षांत समारोह की शुरुआत की. राज्यपाल के संबोधन के बाद महामहिम ने विद्यार्थियों, शिक्षकों और परिजनों को बधाई दी. समारोह में शामिल होने के बाद राष्ट्रपति सर्किट हॉउस पहुंची और कुछ देर विश्राम के बाद राष्ट्रपति वापस नई दिल्ली के लिए रवाना हो गईं.

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