भारत के मिल्कमैन और कहानी घर-घर के फेवरेट अमूल के बनने की
क्या आप जानते हैं कि जो अमूल ब्रांड आप घरों में इस्तेमाल करते हैं, उसे बनाने वाली संस्था का नाम क्या है? गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फ़ेडरेशन – ये वो संस्थान है जिसने न सिर्फ भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बनाया, साथ ही एक ऐसा ब्रांड भी बनी जिसपर घर-घर को भरोसा है और इस भरोसा और संस्था को बनाने वाले शख्स हैं- देश के मिल्कमैन डॉक्टर वर्गीज कुरियन.
एक वक्त था जब डेयरी पालन से जुड़े किसान ये सोच भी नहीं सकते थे कि गुजर बसर करने के अलावा उनकी ये डेयरी बड़े मुनाफे का सौदा बन जाएगी.. कुरियन ने इस सपने को साकार किया. गुजरात के आनंद शहर से सहकारी डेयरी विकास के मॉडल को पहचान दिलाई. बाद में साल 1973 में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फ़ेडरेशन बनाया और 11 हजार से अधिक गांवों के 20 लाख से अधिक किसानों को इस संस्था की मेंबरशिप दिला, किसानों को आत्मनिर्भर बनाया और देश को भरोसेमंद ब्रांड अमूल दिया.
आइए ऐसे में मिल्कमैन और अमूल के बारे में जानते हैं कुछ बेहद खास बातें
- अमूल की शुरुआत Varghese Kurian ‘ने त्रिभुवनभाई पटेल के साथ मिलकर की थी. ये दौर तब का था जब भारत को आजाद हुए अभी 2 साल ही हुए थे. साल 1949 में गुजरात में कुरियन ने त्रिभुवन दास पटेल के खहने पर कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड का काम संभाला. देश के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी को बनाया गया था
कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड नाम बड़ा था तो किसी ने अमूल का नाम सुझाया. और फिर चल पड़ी गाड़ी. अमूल पहली ऐसी कंपनी है, जिसने दुनिया को पहली बार भैस के दूध का मिल्कपाउडर उपलब्ध कराया. इससे पहले दुनिया में सिर्फ गाय के दूध का ही पाउडर मिल पाता था. - शुरुआती दिनों में कंपनी की क्षमता 250 लीटर प्रति दिन की थी. आज के समय में कंपनी 33 लाख लीटर दूध का कलेक्शन डेली करती है. वर्त्तमान में कंपनी के कुल 7 लाख 64 हज़ार मेम्बेर्स है. कंपनी की रोजाना 50 लाख लीटर दूध की हैंडलिंग क्षमता है. कंपनी का पूरी दुनिया के दूध उत्पादन में 1.2 प्रतिशत हिस्सा है.
- अमूल बटर-की शुरुआत तो हो गई थी लेकिन देश के कई अन्य ब्रैंड भी अमूल को टक्कर दे रहे थे. अमूल को पॉल्सन गर्ल नाम की एक कंपनी से कड़ी टक्कर मिल रही थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमूल ने बटर को प्रमोट करने के लिए नया तरीका निकाला और विज्ञापन बनाने वाली एक एजेंसी एडवरटाइजिंग एंड सेल्स प्रमोशन (ASP) को अमूल का एक मस्कट तैयार करने को कहा. अटरली-बटरली डिलीशियस वाले ऐड तो सबने देखा ही होगा.
इसको बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखा गया कि यह विज्ञापन महिलाओं को पसंद आए. बस फिर क्या था कंपनी ने इस नए विज्ञापन के लिए एक लड़की को चुना और देखते ही देखते अमूल गर्ल लोगों को पसंद आने लगी, जिससे सीधे तौर पर प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ गई. - गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है अमूल… अमूल कंपनी का ‘Utterly-Butterly campaign’ सबसे ज्यादा चलने वाला विज्ञापन था. इसको गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया था क्योंकि कंपनी का ऐसा मानना है कि वह एक बहुत सरल, आसन विज्ञापन था जिससे देश का हर एक वर्ग रिलेट कर सकता था.
- अमूल के विज्ञापन में कभी भी किसी बड़े एक्टर को शामिल नहीं किया गया है. अमूल की सफलता उसकी सोच और उसकी मार्केटिंग पर रही है, जिसमें उसने ऐसे उत्पाद बनाए जहां देश के लोगों को एहसास था कि अगर हम अपने घरों में भी दूध मक्खन का उत्पादन करेंगे तो हमको इससे सस्ता नहीं पड़ने वाला. लोगों को उन पर एक विश्वास था कि अगर यह हमारे जैसे किसानों के घरों से ही निकल कर बाजार में उपलब्ध हो रहा है तो यह गलत चीज़ नहीं हो सकती.
- हमेशा से मार्केट का लीडर है अमूल: अमूल का बटर मार्केट में डेयरी प्रोडक्ट्स का सरताज है. उसके पास कुल 85 फीसदी मार्किट शेयर है. पाउच मिल्क में अमूल का मार्केट शेयर 25 प्रतिशत है, वही हम जब पनीर के सेगमेंट में आते है तो इसका मार्केट शेयर 80 फीसदी है. आइस-क्रीम सेगमेंट में इसक मार्केट शेयर 40 परसेंट के लगभग है.
कुल मिलाकर डॉ वर्गीज कुरियन एक ऐसा मॉडल बनाकर गए हैं, जो देश में नई दुग्ध क्रांति पैदा करता है और इसे इस सेक्टर का सिरमौर बनाता है.
पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित कुरियन का 9 सितंबर 2012 को निधन हो गया.