बिहार के सहरसा, पूर्णिया की तस्वीर बदलने वाले IAS की कहानी
बिहार के पूर्णिया में अपनी पहली तैनाती में ही चर्चा में आए आईएएस अधिकारी सौरभ जोरवाल ने पूर्णिया की बदहाल स्थिति से लड़ने का बीड़ा उठाया । लेकिन कम अनुभव उनके रास्ते में रोड़ा बन रही थी, जिसके लिए वो बेझिझक अपने सीनियर्स से मदद लेने में पीछे नहीं हटते थे। पूर्णिया पोस्टिंग के बाद उनका तबादला बिहार के ही सहरसा जिले में हो गया।
सहरसा की तस्वीर बदलने वाले आईएएस अधिकारी
सहरसा में पहुंचने के बाद उनके सामने अतिक्रमण की सबसे बड़ी समस्या थी, जो पिछले तीस सालों से चली आ रही थी। अतिक्रमण की समस्या लोगों के लिए नासूर बन गई थी। सहरसा की सब्जी मंडी में खड़े होने की भी जगह नहीं होती थी। आईएएस सौरभ ने वहां के दुकानदारों से जब बात की तो पता चला कि वो लोग भी चाहते हैं कि यहां से अतिक्रमण हटे लेकिन उसके लिए उन्हें कहीं दूसरी जगह दुकान लगाने के लिए जगह मिले।
प्रशासन की मदद से बनाया सुपर मार्केट
सौरभ ने वहां के प्रशासन की मदद से एक सुपर मार्केट बनवाई जिसके बाद वहां पर लगने वाला कई दशकों का अतिक्रमण खत्म हो गया। सौरभ के इस काम से लोगों के बीच एक नई छवि बन गई और उनके काम को काफी सराहा गया। आईएएस सौरभ अपने इस सामाजिक सरोकार की वजह से लोगों के बीच खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। कानून व्यवस्था हो या फिर लोगों की समस्या को निपटाना हर काम वो बहुत ईमानदारी के साथ करते हैं।
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अपने सुरक्षाकर्मी से वसूल लिया था जुर्माना
आप को जानकर हैरानी होगी कि सौरभ ने वाहन चेकिंग के दौरान अपने ही सुरक्षा में लगे सिपाही का चालान कर दिया था, और 300 रुपए जुर्माना भी वसूला था, क्योंकि उस सिपाही ने हेल्मेट और जूते नहीं पहने थे।आप को बता दें कि सौरभ जयपुर के रहने वाले हैं।
2014 बैच के आईएएस अधिकारी हैं सौरभ जोरवाल
2014 बैच के आईएएस अधिकारी है, उन्होंने दिल्ली आईआईटी से बीटेक किया और फिर सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए। तैयारी के समय उन्होंने बहुत पहले लिखी गई कहानी मैला आंचल पढ़ी जिसका उनपर काफी प्रभाव पड़ा। आज के समय में पूर्वांचल क्षेत्र उस मैले आंचल से बाहर निकल रहा है, और जोरवाल के साथ बदलती तस्वीर की कहानी लिख रहा है।
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