Ayodhya के श्रीराम मंदिर में सजेंगी काशी के कलाकारों की मूर्तियां
Ayodhya : अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के 22 जनवरी को उद्घाटन से पहले काशी से श्रीराम दरबार में सजनेवाली काठ की मूर्तियां पहुंचने लगी हैं. काशी के कलाकार इन मूर्तियों को मूर्तरूप देकर अयोध्या भेजने में लगे हुए हैं. अयोध्या में जहां मंदिर की दिव्य और भव्य आभा दिखेगी वहीं काशी के कलाकारों की कृतियां भी भक्तों को आकर्षित करेंगी.
अयोध्या में मंदिर के उद्घाटन के लिए काशी समेत देश के विभिन्न भागों से सैकड़ों विद्वानों, संतों को निमंत्रण भेजा गया है. इसके साथ ही राम दरबार के लिए जगह-जगह से श्रीराम से सम्बंधित लीलाओं को दर्शाने के लिए कलाकारों की कृतियां भी मंगवाई जा रही हैं. इससे काशी भी कहां अछूता नही है. यहां के कलाकारों की टीम काठ की मूर्तियां बनाकर अयोध्या भेज रही है.
रामकथा के प्रसंगों से जुड़ी हैं मूर्तियां
भदैनी क्षेत्र स्थित लोलार्क कुंड के पास काष्ठ कलाकार शुभी अग्रवाल ने बताया कि सनातनधर्मियों के लिए यह खुशी का पल होगा. बताया कि रामकथा से सम्बंधित प्रसंगों जुड़ी काठ की कृतियां बनाकर हमलोग अयोध्या भेज रहे हैं. भगवान श्री राम के वन गमन से लेकर सीता हरण और राम राज्याभिषेक सहित अन्य प्रसंगों को उकेरा जा रहा है. अबतक हम लोग 52 काठ की बनी मूर्तियां अयोध्या भेज चुके हैं. मूर्तियां बनाने का काम हमारे यहां तीन साल से हो रहा था. लगभग सभी कार्य पूर्ण हो गए हैं. उन्हें फाईनल टच देने के साथ भेजने का कार्य हो रहा है.
अयोध्या के कला संग्रहालय में प्रदर्शित होगी काशी की कलाकारीं
काशी में लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगर रामचरित मानस के प्रसंगों पर आधारित मुखौटों को भी अंतिम देने में जुटे हैं. इन मुखौटों को अयोध्या के कला संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा. राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन से पहले मूर्तियों और मुखौटों को अयोध्या भेज दिया जाएगा. करीब 300 कारीगर मानस के 22 प्रसंगों के लिए 56 प्रकार के मुखौटे बना रहे हैं. खिलौना कारोबारी बिहारी लाल अग्रवाल ने बताया कि अयोध्या से मानस प्रसंगों पर मुखौटे और मूर्तियां बनाने का ऑर्डर मिला था. श्रीराम दरबार से लेकर वनगमन, सीता हरण, सीता स्वयंवर, समुद्र पूजन, राम सेतु, रावण, कुंभकरण, मेघनाद, अशोक वाटिका आदि प्रसंगों को बनाने का काम अंतिम चरण में है.
Also Read : Bhagwa Colour: कैसे बना सन्यासियों का रंग ”भगवा” ?
भाव प्रधान बनी हैं मूर्तियां
बिहारी लाल ने बताया कि मुखौटे और मूर्तियों के लिए विशेष प्रकार की लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है. मूर्तियां बनाने में भाव की प्रधानता होती है. राम का चरित्र सौम्य है तो उनके मुखौटे और मूर्तियों में उनके वही भाव प्रदर्शित किये गये हैं. रावण और मेघनाथ के मुखौटे उग्रता के भाव को दर्शाते हैं.