मूछें रखने पर इन पुलिस अफसरों को मिलता है अलग से भत्ता

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सिंघम, राउडी राठौर या दबंग इन तीनों फिल्मों में भले ही पुलिस वालों के किरदार अलग-अलग अभिनेताओं ने निभाये हों, लेकिन एक चीज है जो इन तीनों को असलियत में एक धाकड़ पुलिस वाला दर्शाती है और वो है इनकी मूछें… जी हां, शायद इन्हीं फिल्मों ने यूपी पुलिस में मूंछ (whiskers) रखने का प्रचलन फिर से बढ़ा दिया है। युवा पुलिस कर्मियों में इसका क्रेज देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के आईपीएस(SSP) विभाग में दोबारा से मूंछ का चलन शुरू हो गया है।

मूंछ की देखरेख के लिए पहले मिलता था भत्ता

जानकारी के मुताबिक, यूपी पुलिस में 1985 से पहले हर महीने 60 से 100 रुपये मूंछों की देखरेख के लिए मिलते थे। इसके तहत हर जिले के एसएसपी के पास अधिकार होता था कि वह फंड जारी करें। पुलिस के लिए नए यूनिफॉर्म रूल आने से पहले यानी 1986 तक यह जारी रहा। पर, जब नए नियम आए तो उनमें ये आदेश साफ़ थे कि पुलिस वालों को छोटे बाल रखने और हर दिन शेव करनी है। हालांकि, इस गाइडलाइन में मूंछों को लेकर कोई नियम नहीं था लेकिन फिर भी क्लीन शेव का प्रचलन चल पड़ा।

इसमें ख़ास बात यह है कि ब्रिटिश काल 1945 में लखनऊ में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर ने 3 पुलिसवालों को सबसे अच्छी मूंछ के लिए सम्मानित किया था। इन पुलिस वालों को 5-5 रुपये मिले थे और उन्हें पुलिस फोर्स में मॉडल पुलिसवाले के तौर पर पेश किया गया था। इसके साथ ही लखनऊ में 1990 तक कुछ पुलिसवालों को उनकी मूंछों की देखभाल के लिए 250, 200 और 150 रुपये मिलते थे।

मूंछें बहादुरी का प्रतीक

अभी कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद पुलिस अथॉरिटी ने जिले में मूंछों के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसे लेकर पुलिसकर्मियों द्वारा काफी अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है। मूंछ वाले सिपाहियों का स्थानीय लोगों में अच्छा प्रभाव पड़ा है और वे उन्हें इज्जत की नजर से देखते हैं।

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कुछ समय पहले तक मूंछों के रखरखाव के लिए 50 रुपये भत्ते मिलते थे। 86 साल के रिटायर्ड इंस्पेक्टर बुद्धसेन मिश्र की मूंछें ही उस समय जिले में 200 इंस्पेक्टर के बीच उन्हें अलग पहचान देती थीं। वहीं, मुरादाबाद में 59 साल के एसपी दिनेश कुमार शर्मा की मूंछें उनकी 35 साल की मेहनत का फल हैं।

आसान काम नहीं था संभालना

पुराने जमाने में मूंछें रखना भी कोई आसान काम नहीं था, जवानों या अधिकारियों को इनका पूरा ख्याल रखना पड़ता था। ड्यूटी के दौरान हरदम तनी मूंछों पर कई शौकीन वैक्स तक का इस्तेमाल करते थे तो बालों को मजबूत रखने के लिए वैसी ही डाइट भी होती थी।

आखिरी बार साल 2011 में तत्कालीन डीआईजी लालजी शुक्ला ने सिगरा थाने के एक सिपाही को तावदार मूंछों पर इनाम दिया था। रामनगर पीएसी के एक सिपाही को 2012 में तत्कालीन एसएसपी और कमांडेंट बीडी पॉल्सन ने कई महीने भत्ता दिया था। पुलिस विभाग में अब केवल आईपीएस अफसरों को पांच रुपये प्रतिदिन का भत्ता देने का प्रावधान है।

ये हैं मूंछों वाले यूपी के पुलिस अधिकारी

वाराणसी में एएसपी और चंदौली के एसपी रहे आईपीएस अधिकारी मुनिराज की मूंछें चर्चित थीं तो वाराणसी के एसएसपी रह चुके आकाश कुलहरि की मूंछें भी काफी पसंद की जाती थीं। मगर फिल्मों के साथ लौटा यह क्रेज कुछ ही दिनों तक बरकरार रहा।

हालांकि एसएसपी वाराणसी के मौजूदा पीआरओ शैलेष मिश्र जैसे कुछ पुलिसकर्मी हैं जो मूंछों पर ताव बरकरार रखे हुए हैं। इसके साथ ही मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार आज भी अपनी रौबदार मूंछों के लिए चर्चा में रहते हैं। तावदार मूंछों के मामले में इंस्पेक्टर एसटीएफ वाराणसी विपिन राय और यूपी पुलिस के तेजतर्रा इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह का भी कोई जवाब नहीं।

एसएसपी वाराणसी आरके भारद्वाज का कहना है कि यह सच है कि मूंछें व्यक्तित्व को रौबदार बनाती हैं। विभाग में निचले लेवल पर यह भत्ता बंद हो चुका है। हालांकि, आईपीएस स्तर पर यह अब भी जारी है।

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