कोरोना काल में यूपी में ऐसे लड़ी जा रही है सियासी लड़ाई

भाजपा वीडियो कांफ्रेंसिंग और सोशल मीडिया का सहारा ले रही

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लखनऊ : social media हमारी राजनीतिक जिंदगी में भी बड़ी भूमिका अदा कर रही है। कोराना संकट में हुई पूर्णबंदी में उत्तरप्रदेश की सियासी गतिविधियां भी बदल गयी है। सत्ता पक्ष तो social media के माध्यम से अपनी गतिविधियां चला रहा है। विपक्ष भी सरकार के विरोध में सड़क छोड़ ट्विटर के सहारे सरकार से विभिन्न मुद्दों पर संघर्ष करती नजर आ रही है।

वीडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा

प्रदेश का सत्तारूढ़ दल भाजपा अपनी प्राथमिक इकाई बूथ के अध्यक्षों से सीधे संवाद का अभियान हो या फिर सेवा व राहत कार्यों के साथ संगठनात्मक सक्रियता बनाए रखने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग और social media का सहारा ले रही है। ब्रिज कॉल के माध्यम से भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल अलग अलग जिलों में संपर्क संवाद अभियान चला रहे हैं।

डिजिटल सिस्टम का बेहतर उपयोग

स्वतंत्रदेव भी मानते हैं कि कोरोना संकट में डिजिटल सिस्टम का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। उनका कहना है कि स्वयं बचो, सबको बचाओ फार्मूले पर भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को अपना दायित्व निभाना चाहिए। पार्टी कार्यकर्ता कोरोना महामारी से बचाव को जागरूकता के लिए social media पर लगातार अभियान जारी रखें।

सत्तारूढ़ दल भाजपा भी आगे आने वाले चुनावों को लेकर संगठनात्मक काम और अभियान को अंजाम देने में जुटी हुई है। उसके लिए तकनीक ही एक सहारा है। उसी मोड में सरकार भी सारी योजनाओं संवाद के कार्यक्रम जारी रख रही है। उत्तर प्रदेश भाजपा में डिजिटल क्रांति का पहला बड़ा लाभ वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मिला। लेकिन कोरोना संकट में भी उसने इस माध्यम का भरपूर उपयोग कर रही है। एमएलसी चुनाव, पंचायत चुनाव और मिशन 2022 की तरफ बढ़ रही भाजपा धीरे-धीरे चुनावी मोड में आ रही है।

आज तकनीक का दौर

भाजपा प्रवक्ता डा़ चन्द्रमोहन का कहना है, “कोरोना काल में भी संगठन को चुस्त दुरुस्त रखना हमारी जिम्मेदारी है और भविष्य की तैयारी करना हमारा काम है। इस कार्य को भाजपा बाखूबी निभा रही है। आज तकनीक का दौर है। भाजपा का संगठन इस कार्य को अच्छे से संपादित कर रहा है।”

उधर विपक्ष भी सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा सरकार पर लगातार हमला कर रहा है। चाहे समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव हों या फिर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार या बसपा प्रमुख मायावती भी ट्विटर और अन्य social media के माध्यमों से अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। कोरोना के समय अपनी-अपनी उपलब्धि बताकर अपने पक्ष में महौल बनाने में लगे हैं।

कांग्रेस कर रही बैठकें

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा, “कोरोना संकट के समय यूपी मित्र एप के माध्यम से और सोशल मीडिया से बैठकों का दौर जारी है। अभी तक 35 बैठके हो चुकी हैं। अभी यह सिलसिला महामारी तक चलता रहेगा। इसके आगे की जैसी राजनीति होगी,वैसा ही किया जाएगा।”

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि कोरोना महामारी में social media और विडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से कार्यकर्ताओं से निरंतर संवाद पूरे प्रदेश में चल रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष रणनीति तैयार करते हैं। कार्यकर्ताओं को ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से संदेश देते हैं। यह क्रम लगातार चल रहा है। सेवा और राहत का काम भी देखा जा रहा है।

सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि social media का प्रभाव 2014 में दिखा था। सभी पर्टियों ने समझ लिया है कि कम शब्दों में अपनी बात पहुंचाने का यह बड़ा सशक्त माध्यम है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी अहमियत को समझा है। भाजपा कोरोना काल में इसका भरपूर उपयोग कर रही है। पहले इसका उपयोग बस पार्टी प्रचार के लिए करते थे। कोरोना के बाद बहुत आयाम बदलेगा। कोरोना काल के बाद नए अवसर की जरूरत है। सभी को तकनीक से जुड़ना होगा। सोशल मीडिया हर पार्टी की मजबूरी बन गया है।

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