तो इसलिए हर साल रामनवमी पर सूर्यदेव करेंगे श्री राम का अभिषेक
AYODHYA: भगवान रामलला के भव्य मंदिर (Ramlala Temple) के साथ ही उसके गर्भ गृह में विराजमान होने जा रही उनकी प्रतिमा भी दिव्य मोहक अलौकिक है. मंदिर ट्रस्ट की ओर से भी इसपर अपनी मुहर लगा दी गई है. ट्रस्ट के बताया है कि प्रभु श्रीराम की मूर्ति को इस प्रकार से बनाया गया है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी को भगवान सूर्य स्वयं श्रीराम का अभिषेक करेंगे. उन्होंने बताया कि भारत के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर मूर्ति की लंबाई और उसे स्थापित करने की ऊंचाई को इस प्रकार से रखा गया है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी रामनवमी को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें प्रभु श्रीराम के ललाट पर पड़ेंगी.
बारीकी से तैयार की गई रामलला की प्रतिमा
जानकारी के मुताबिक तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण अलग अलग किया. जिसमें से एक मूर्ति को प्रभु प्रेरणा से चुना गया है. चुनी गई मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन डेढ़ टन है. मूर्ति की सौम्यता का बखान करते हुए कहा गया कि श्यामल रंग के पत्थर से निर्मित मूर्ति में ना केवल भगवान विष्णु की दिव्यता और एक राजपुत्र की कांति है बल्कि उसमें 5 साल के बच्चे की मासूमियत भी है.चेहरे की कोमलता, आंखों की दृष्टि, मुस्कान, शरीर आदि को ध्यान में रखते हुए मूर्ति का चयन किया गया है.
अद्भुत होगा श्रीराम का मंदिर
आपको बता दें कि राम मंदिर अद्भुत होगा. दक्षिण भारत में ऐसे मंदिर हैं, मगर उत्तर भारत में बीते 300 साल में ऐसा कोई मंदिर निर्मित नहीं हुआ है. इसका निर्माण करने वाले इंजीनियर भी ये मानते हैं कि पत्थर की आयु एक हजार साल होती है. धूप हवा पानी का प्रभाव पत्थर पर पड़ता है. जमीन के संपर्क में होने के कारण पत्थर नमी सोखता है. लेकिन यहां पर पत्थर नमी नहीं सोख पाएगा क्योंकि नीचे ग्रेनाइट लगाया गया है. इसमें लोहे का भी इस्तेमाल नहीं हुआ है.
रात के 12 बजे तक दर्शन
ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि 22 जनवरी को दिन में देशभर के पांच लाख मंदिरों में भव्य पूजन अर्चन के साथ ही उल्लास मनाया जाएगा तथा शाम के समय हर सनातनी अपने अपने घर के बाहर कम से कम पांच दीपक अवश्य जलाएं. साथ ही 26 जनवरी के बाद ही लोग मंदिर में दर्शन के लिए आएं. ट्रस्ट के महासचिव ने आश्वस्त किया कि जबतक सभी लोग दर्शन नहीं कर लेंगे तबतक मंदिर के कपाट खुले रहेंगे, फिर चाहे रात के 12 ही क्यों न बज जाएं.
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16 जनवरी से प्रारंभ होगी पूजा विधि
ट्रस्ट के अनुसार मूर्ति की प्रतिष्ठा पूजा विधि को 16 जनवरी से प्रारंभ होगी. इसके अलावा 18 जनवरी को गर्भगृह में प्रभु श्रीराम को आसन पर स्थापित कर दिया जाएगा. प्रभु श्रीराम की मूर्ति की एक विशेषता यह भी है कि इसे अगर जल और दूध से स्नान कराया जाएगा तो इसका नकारात्मक प्रभाव पत्थर पर नहीं पड़ेगा.
इसके साथ ही अगर कोई उस जल या दूध का आचमन करता है तो शरीर पर भी इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा. राममंदिर परिसर में ही महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या का भी मंदिर बनाया जाएगा.