आज धरती के करीब से गुज़रेगा ‘2012 TC4 तारा’

0

जी हां चौकिये नहीं ..आज एक तारा ( star) धरती के सबसे नजदीक होकर गुजरेगा। अंतरिक्ष में एक छोटा सा तारा (क्षुद्रग्रह) धरती के नज़दीक से होकर गुज़रेगा। 2012 TC4 नामक ये तारा अंटार्कटिका, दक्षिणी ध्रुव के सबसे ज्यादा नज़दीक होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक इस तारे से धरती को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा।

also read : PM, गुजरात के हर व्यक्ति को चांद पर एक घर देंगे : RAHUL

पहली बार 8 मीटर अपर्चर वाले टेलीस्कोप से देखा था

इसकी खोज साल 2012 में पैनोरेमिक सर्वे टेलीस्कोप और रेपिड रेस्पॉन्स टीम ने इसे हवाई में खोजा था। नासा के मुताबिक धरती से करीब इस तारे की दूरी 425 हजार किमी होगी। इस तारे का आकार 15 से 30 मीटर बताया जा रहा है। जो 12 अक्टूबर गुरुवार की सुबह 11: 12 IST पर धरती के करीब दिखाई देगा। जब पहली बार यह क्षुद्रग्रह साल 2012 में दिखाई दिया तो तभी अंदेशा जताया गया था कि वह 2017 में लौटेगा। इस साल जुलाई में यूरोपियन स्पेस एजेंसी और यूरोपियन साउदर्न ऑब्जरवेटरी ने पहली बार 8 मीटर अपर्चर वाले टेलीस्कोप से देखा था।

also read : मध्य प्रदेश के ’13 जिलें और 110 तहसील’ सूखा घोषित

अगले 100 साल तक कोई प्रभाव नहीं

इसके बाद से पूरी दुनिया की स्पेस रिसर्च टीम की निगाहें इसकी गतिविधियों पर थी। नासा के प्रोग्राम वैज्ञानिक और पीडीसीओ (नासा प्लेनेटरी डिफेंस को-ऑर्डिनेशन ऑफिस) प्रमुख माइकल कैले के मुताबिक अभी तक की खोज के आधार पर आगामी 100 सालों में किसी क्षुद्रग्रह का धरती पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।

also read : युवराज सिंह बने लॉरियस के एंबेसडर

विश्व के रहस्य को जानने की हमारी इच्छा बहुत पुरानी है

अपने चारों ओर फैले हुए तारामय विश्व के रहस्य को जानने की हमारी इच्छा बहुत पुरानी है। तारों के अध्ययन से हमने विश्व को गैलेक्सी जैसी अनेक ताराप्रणालियों (stellar system) पूर्ण पाया है। लाल रंग की ओर रेखाओं के स्थानातरंण (red shift) द्वारा हमने तारों के वर्णक्रमों के अध्ययन से इतना जान लिया है कि हमारा विश्व फैल रहा है।

also read : PM : सरकार और जनता के बीच निरंतर संवाद होना जरूरी

तारो से जुड़े कई प्रश्न विवादास्पद हैं

तथापि अपने सीमित साधनों के कारण हम विश्व के वास्तविक रूप को नहीं जान सके हैं। हमारे विश्व का कितना विस्तार है फैलता हुआ विश्व किस सीमा तक फैल सकता है विश्व की वक्रता कैसी है, तथा वक्रता त्रिज्या क्या है ये सभी प्रशन अभी तक विवादास्पद हैं तथा इन विषयों में हमारा कोई निश्चित सर्वसम्मत सिद्धांत नहीं है। सबसे बड़ा माउंट पालोमार वेघशाला का, 200 इंच व्यास का हेल दूरदर्शी एक अरब पारसेक, अथवा लगभग 20,00,00,00,00,00,00,00,00,00,00 मील के लगभग, दूरियों के दृश्य तक ही पहुँच पाया है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

 

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More