उपलब्धि के शीर्ष से गुमनामी के अंधेरे तक, जानिए कौन थे भारत के सबसे योग्य व्यक्ति श्रीकांत जिचकर…
आपको रु-ब-रु कराते हैं ऐसे ही एक शख्स की अद्भुत, अकल्पनीय कहानी से जिसके शख्सियत की रौशनी शायद स्याह अंधेरी रातों में भी हमें नई राह दिखावे, जो उजाले की ओर जाती है।
यूँ तो बगीचों में, बाजार में बहुत सारे बेशुमार फूल होते हैं। हर फूल का अपना अलग अलग महत्त्व, अलग रंग और अलग किरदार है। लेकिन भारतीय परंपराओं में पुष्प गुच्छ या बुके के समकक्ष टिकने वाला दूसरा कोई ब्रह्मास्त्र नहीं मिला है। त्रिवेणी (गंगा, यमुना, सरस्वती) के दुर्लभ संगम की तरह ही सुंदरता और सुगंध से भरपूर फूलों से मिलकर बना पुष्प गुच्छ विभिन्न छटाएं, विभिन्न खुशबुओं का एक अलाप संगम है। इसी तरह से जिस व्यक्ति विशेष के बारे में हम बात कर रहे हैं, उस व्यक्ति की शख्सियत भी इससे कुछ कम नहीं है। आइए ! आपको रु-ब-रु कराते हैं ऐसे ही एक शख्स की अद्भुत कहानी से जिन्हें भारत के सबसे योग्य व्यक्ति का दर्जा दिया गया है।
भारत में एक ऐसा व्यक्ति था, जो डॉक्टर भी था और वकील भी, IAS भी था और IPS भी, पत्रकार भी था और संस्कृत में डिलीट भी, विज्ञान का झंडाबरदार भी था, साहित्य का हस्ताक्षर भी, एमएलए था और एमपी भी, कुलपति भी और 14 विभागों के मंत्री भी। हम बात कर रहे हैं बहुआयामी प्रतिभा के धनी श्रीकांत जिचकर की। जिनके पास 20 डिग्रीयां थीं। साथ में भारत में सबसे अधिक पढ़ने वाले व्यक्ति रूप में लिम्का बुक अवॉर्ड भी।
करिश्माई शख्सियत:
श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर 1954 को नागपुर के आजनगांव में एक किसान परिवार में हुआ था। 42 विश्वविद्यालयों से उन्हें तकरीबन 20 डिग्रियां फर्स्ट क्लास के साथ पास किया। सबसे पहले उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री ली लेकिन डॉक्टरी पसन्द नहीं आई तो कानून पढ़कर एलएलबी की डिग्री ली। अंतरराष्ट्रीय वकालत करनी थी तो एलएलएम कर लिए। कुछ समय बाद बिजनेस रूचिकर लगा तो एमबीए की डिग्री ली। एक समय उन्हें लगा की सच उजागर कर देश का सेवा करना चाहिए तो पत्रकारिता की डिग्री ली। 1978 में IPS का एग्जाम पास किया था लेकिन जल्द ही त्यागपत्र दे दिया फिर 1980 में IAS का एग्जाम पास किया लेकिन चार माह बाद उसको भी त्यागपत्र दे दिया और फिर राजनीति में आ गए।
दिए थे 42 यूनिवर्सिटी एग्जाम:
श्रीकांत जिचकर के पढ़ाई के दौरान एक ऐसा समय आया, जब उन्होंने 42 यूनिवर्सिटीज़ की परीक्षा दी और 20 में पास हुए। खास बात ये है कि अधिकतर परीक्षा में उन्हें फर्स्ट डिविजन या गोल्ड मेडल मिला।
राजनीति में कदम:
1980 में श्रीकांत जिचकर महाराष्ट्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और अपनी पहली राजनीतिक जीत दर्ज की और 25 साल की उम्र में MLA बन गए थे। ऐसा करने वाल उस समय के सबसे युवा नेता थे। इसके बाद MLC और राज्यसभा सदस्य भी बने। उन्हें एकसाथ 14 मंत्रालयों का काम मिला हुआ था। 1986 से 92 तक वो महाराष्ट्र विधान परिषद और 1992-98 में राज्यसभा के सांसद रहे।
ये हैं उपलब्धियां:
मेडिकल डॉक्टर, MBBS and MD |
Law, LL.B |
M.A. Public Administration |
M.A. Sociology |
M.A. Economics |
M.A. Sanskrit |
M.A. History |
M.A. English Literature |
M.A. Philosophy |
M.A. Political Science |
M.A. Ancient Indian History, Culture and Archaeology |
Masters in Business Administration, DBM and MBA |
M.A. Psychology |
Bachelors in Journalism |
International Law, LL.M |
D. Litt. Sanskrit |
IPS |
IAS |
52,000 किताबों की लाइब्रेरी:
जिचकर को उनके निजी लाइब्रेरी के लिए भी जाना जाता है। उनकी लाइब्रेरी में 52,000 किताबें थीं। बताया जाता था कि यह उस समय सबसे बड़े बुक कलेक्शन का रिकॉर्ड था। इसके अलावा वह एक शानदार फोटोग्राफर और एक्टर भी थे।
निधन:
2 जून 2004 को श्रीकांत ने दुनिया को अलविदा कह दिया। गपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया था।
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