वाराणसी। परिवार की बेरुखी से बेदम सैकड़ों किताबों के लेखक और अनुवादक श्रीनाथ खंडेलवाल का शनिवार की सुबह निधन हो गया. वह वाराणसी के पहाड़िया स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में 10 दिन से भर्ती थे. उनका हार्ट, किडनी और लीवर से संबंधित बीमारियों का इलाज चल रहा था. करीब 81 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. बता दें कि कुछ माह पूर्व एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपनी पारिवारिक स्थिति बयां की थी. सामाजिक कार्यकर्ता अमन कबीर के सोशल मीडिया वॉल से जब यह वीडियो वायरल हुई तब भी उनके बेटे और बेटी उनका हाल जानने नहीं पहुंचे. शनिवार को खंडेलवाल के निधन के बाद अमन ने एक बार फिर उनके बेटे को फोन लगाया तो उसने बनारस से बाहर होने की बात कह दी. बेटी ने फोन नहीं उठाया तो उन्हें मैसेज के माध्यम से जानकारी दे दी गई.
इन्होंने दिया कंधा, किया अंतिम संस्कार
शनिवार की सुबह अमन कबीर के साथ रमेश श्रीवास्तव, शैलेंद्र दुबे, आलोक, सोनू यादव, प्रफुल्ल प्रकाश राय ने कंधा देकर श्रीनाथ के पार्थिव शरीर को मणिकर्णिका घाट पर पहुंचाया. यहां अमन ने उनका विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया. इसके बाद पिंडदान की क्रिया को भी पूर्ण कराया. बताते हैं कि उनके पास करोड़ों की संपत्ति थी, लेकिन उन्हें बेदखल कर दिया गया था.
400 किताबें लिखी, वेद पुराण से था लगाव
बता दें कि श्रीनाथ खंडेलवाल कई महीनों से हीरामनपुर (सारनाथ) स्थित एक आश्रम में रह रहे थे. उन्होंने लगभग 400 किताबें लिखी थीं. कहा ये भी जा रहा था कि इन्होंने पद्मश्री सम्मान लेने से मना कर लिया था. बच्चों की दुत्कार सुनकर वे वृद्धाश्रम में चले आए. उन्होंने अब तक 400 से अधिककिताबें लिखी हैं. इसमें 18 पुराण, 21 उपपुराण और तंत्र की करीब 400 किताबें शामिल हैं. अभी वे लेखन कार्य में लगे हुए थे लेकिन बच्चों की बेरुखी ने उन्हें बेघर कर दिया था. फिलहाल में वे नरसिंह पुराण की एक किताब का अनुवाद कर रहे थे. इसके पहले करीब 10 किताबों का उन्होंनेहिन्दी अनुवाद किया हु
आ है.